India-China Relations: उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ UNHRC में प्रस्ताव पर भारत ने क्यों दिया चीन का 'साथ', जानें
India-China Relations: चीन और भारत के बीच पिछले लंबे समय से रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं. गलवान मुद्दे पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं.
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India-China Relations: भारत और चीन के रिश्ते पिछले लंबे समय से खराब चल रहे हैं. चीन हर मौके पर भारत के खिलाफ बयानबाजी या फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वोटिंग करता आया है. इसी बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत के एक कदम ने सभी को चौंका दिया है. चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार के मामले पर चीन के खिलाफ UNHRC में प्रस्ताव लाया गया था. इस दौरान भारत ने वोटिंग से किनारा कर लिया. अब सवाल ये है कि चीन जो कि हर मामले में भारत के खिलाफ खड़ा रहता है, उसके खिलाफ वोटिंग से भारत ने दूरी क्यों बना ली? विपक्षी नेताओं ने भी भारत के इस मूव पर जमकर हमला बोला है. आइए इसके पांच बड़े कारण आपको बताते हैं.
- चीन और भारत के बीच पिछले लंबे समय से रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं. गलवान मुद्दे पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. कई महीनों तक चले तनाव के बाद अब दोनों देशों की सेनाओं के बीच डिसएंगेजमेंट का प्रोसेस शुरू हुआ है. इस बीच चीन के खिलाफ वोट करके भारत फिर से रिश्तों में कड़वाहट नहीं लाना चाहता है.
- भारत का चीन पर ये रुख चीन की वन चाइना पॉलिसी को लेकर भारत के पक्ष को भी दिखाता है. शिनजियांग में चीन उइगरों के खिलाफ जो कुछ कर रहा है, उसमें भारत किसी भी तरह से शामिल नहीं होना चाहता है. चीन के खिलाफ या पक्ष में वोट करने पर भारत का इस मुद्दे पर रुख साफ हो जाता, हो सकता है इसीलिए वोटिंग से दूरी बनाई गई.
- हालांकि भारत का ये रुख पहले भी कई देशों को लेकर रहा है. यूएएचआरसी में ऐसे मुद्दों पर भारत का रुख पहले भी कई बार न्यूट्रल रहा. चीन के खिलाफ वोट नहीं करने का एक कारण ये भी हो सकता है कि आने वाले वक्त में भारत भी चीन से यही चाहता हो. यानी अगर भारत के खिलाफ कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो हो सकता है कि चीन भी उससे दूर रहे.
- भारत के चीन पर इस फैसले को अमेरिका के लिहाज से भी देखा जा रहा है. पाकिस्तान के साथ एफ-16 डील के बाद से ही भारत, अमेरिका के खिलाफ खुलकर बोल रहा है. अब UNHRC में भारत का चीन के रुख में होना भी अमेरिका को एक कूटनीतिक जवाब हो सकता है.
- चीन की ही तरह भारत ने हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भी वोटिंग से किनारा कर लिया था. श्रीलंका के खिलाफ ये प्रस्ताव आर्थिक संकट पर सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को लेकर पेश किया गया था. इसमें भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. जबकि चीन और पाकिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ वोट किया.
विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला
चीन के खिलाफ UNHRC में वोटिंग से नदारद रहने को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, चीन के मामले पर इतना फर्क क्यों है? सरकार चीनी घुसपैठ को लेकर संसद में चर्चा के लिए राजी नहीं है. भारत चीन के खिलाफ वोटिंग से परहेज कर रहा है. सरकार किसी भी संसदीय सदस्य को ताइवान यात्रा के लिए क्लीयरेंस नहीं दे रही है. तिवारी के अलावा शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने ट्विटर पर लिखा- "हिंदी - चीनी भाई- भाई. लाल आंख से लेकर बंद आँख तक का सफर..."
हाल ही में यूएन की तरफ से एक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ किस तरह अत्याचार किए जा रहे हैं. चीन ने यहां के डिटेंशन सेंटर्स में कई उइगरों को रखा है और उन पर यौन अत्याचार भी किए जा रहे हैं. इस मामले को लेकर चीन की जमकर आलोचना हुई थी.
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