Corona Vaccination in India: दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान ने आज एक ऐतिहासिक मकाम छू लिया है. दरअसल, भारत ने आज बहुत कम समय में 100 करोड़ डोज को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. इस अभियान की शुरुआत करीब नौ महीने पहले हुई थी. इस रिकार्ड लक्ष्य को हासिल करने में देश के विभिन्न राज्यों का अहम योगदान है. देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां 100 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है. वहीं इस मौके पर भारत बॉयोटेक वैक्सीन का दिल्ली के एम्स में क्लीनिकल ट्रायल करने वाले डॉ. संजय राय से हमारे संवाददाता ने बातचीत की.
सवाल- 100 करोड़ वैक्सीन डोज कितनी बड़ी उपलब्धि है?
जवाब- इस सवाल के जवाब में डॉ. संजय राय ने कहा कि टीकाकरण को डेवेलप करने से लेकर कल ट्रायल करना, उसे देश भर में लागू करना और अब 100 करोड़ का आंकड़ा छूना बहुत लंबी यात्रा थी. दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो वैक्सीनेशन में अब तक 50 फीसदी भी नहीं छू पाए है. हालांकि इस लिस्ट में चीन को छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि चीन द्वारा 9 जून को रिलीज किए डेटा के अनुसार वहां 1 बिलियन लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि हम चाइना को हटा दें तो किसी भी देश को ले लीजिए फिर चाहे वह विकसित देश हो या विकासशील, वैक्सीनेशन के मामले में हमसे पीछे चल रहे हैं. टीकाकरण के लिहाज से देखें तो भारत का 100 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करना बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसकी शायद किसी ने कल्पना नहीं की थी. डॉ. ने बताया कि देश में जब वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल हुआ था और जब टीका लगना शुरू हुआ तब भी लोगों ने कहा था कि दिसंबर तक शायद भारत 50 करोड़ टीकों के लक्ष्य को ही पूरा कर पाएगा, लेकिन आज इतने बड़े लक्ष्य को कवर करना सिर्फ देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है .
सवाल- कोरोना महामारी को रोकने में वैक्सीन का बड़ा रोल था?
जवाब- हमारे पास कोरोना वैक्सीन सेकेंड वेव के दौरान आई थी और जब यह वेव आई थी तब भी वैक्सीनेशन बहुत नहीं हुआ था तो किसी वेव को रोकने में कोई भी वैक्सीन बहुत कारगर नहीं हुआ. लेकिन ओवरऑल भविष्य में अगर कोई वेव आती है तो उसमें यह वैक्सीन जरूर कारगर होगी क्योंकि यह कोरोना संक्रमण की गंभीरता और मौत रोक रहा है. हालांकि अब तक जो दो वेव आई थी उसमें बहुत कम लोगों को टीका लगा था.
सवाल- कब तक उम्मीद है कि सभी व्यस्क आबादी को दोनो डोज लग जाएंगे?
जवाब- 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन किसी भी देश में नहीं हो सकता इसके कई कारण हैं. कुछ लोगों को वैक्सीन दी ही नहीं जा सकती, कई लोग जो अलग-अलग बीमारी से ग्रसित हैं. उन्हें वैक्सीन के डोज से एलर्जी हो सकती है. हालांकि 100 करोड़ डोज लगना ही बड़ी उपलब्धि है. वैक्सीनेशन के रफ्तार का सबसे बड़ा कारण है देश की राजनीतिक इच्छाशक्ति. टीके को लेकर कई अफवाहे, कॉन्ट्रोवर्सी और बातें की गई लेकिन उसके बावजूद नौ महीने के अंदर आंकड़ों का 100 करोड़ पूरा हो जाना राजनीतिक इच्छाशक्ति ही है. प्रधानमंत्री ने इस अभियान को अपनी देखरेख में आगे बढ़ाया है. फिर चाहे वह वैक्सीन के मैन्युफैक्चर को खुद जाकर देखना, क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों को मॉनिटर करना हो. पीएम ने हर लेवल पर वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने पर काम किया है.
सवाल- कैसा लग रहा है जिस वैक्सीन का ट्रायल किया वो टीकाकरण कार्यक्रम में है और आज ये 100 करोड़ डोज लगना कैसा लग रहा है?
जवाब- यह हमेशा अच्छा लगता है कि जिस वैक्सीन पर हमने काम किया, रिसर्च के फेज 1 फेज 2 और फेज 3 का ट्रायल किया वह लोगों को इस संक्रमण से बचाने में सफल हो रहा है. सबसे ज्यादा बधाई उन लोगों को जिन्होंने ट्रायल में हिस्सा लिया क्योंकि वॉलेंटियर नहीं होते तो इतना परिणाम इतनी जल्दी नहीं आ पाता, तो उन वॉलेंटियर्स को भी बधाई. हम लोगों को एक रिसर्चर के तौर पर बहुत खुशी मिलती है.
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