Firing Range New LAC: भारत ने चीन के बॉर्डर पर कर दिया वो काम, अभी से फूलने लगा ड्रैगन का दम, नजर उठाई तो काम तमाम!
India Replied China: भारत ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देकर चीन के ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध प्रोजेक्ट बनाने और लद्दाख क्षेत्र में नई काउंटी बनाने के फैसले का जवाब दिया है.
India Replied China: चीन ने यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध प्रोजेक्ट बनाने और भारतीय क्षेत्र लद्दाख में नई काउंटी बनाकर उसके नाम रखने के फैसले के बीच भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की वन सलाहकार समिति (FAC) ने सिक्किम में भारत-चीन सीमा के योंगडी में 2,000 मीटर की फायरिंग रेंज को मंजूरी दे दी है.
इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ में 16 मेगावाट के हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट को भी मंजूरी दी गई है. यह प्लांट 2012 में बादल फटने से बह गया था. भारत-चीन सीमा के पास योंगडी में बनने वाला फायरिंग रेंज 15,000 फीट की ऊंचाई के साथ देश में सबसे अधिक उंचाई वाला फायरिंग रेंज होगा. साथ ही यह इस क्षेत्र में एकमात्र हेवी कैलिबर वाला फायरिंग रेंज होगा.
'दुश्मन की नजरों से करेगा कवर'
मंगन जिले के लाचेन नदी के तट पर बनने वाले फायरिंग रेंज से लगभग 87 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित होगा. यह साइट एक प्राकृतिक रूप से फनल वाला क्षेत्र है, जो एक लेटरल ग्लेशियर के पीछे हटने के कारण बना है. हरित मंत्रालय को सूचित किया गया है कि यह दुश्मन की नजरों से फायरिंग रेंज को प्राकृतिक रूप से कवर करेगा.
'सीमा की संवेदनशीलता के कारण महत्वपूर्ण'
फायरिंग रेंज के लिए प्रस्तावित क्षेत्र तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है और एक तरफ खुला है. इससे लाइव फायरिंग से जुड़े खतरे भी कम हो सकते हैं. वहीं इस रेंज की लंबाई को देखते हुए टैंक के गोले के पहाड़ों से टकराने की संभावनाएं भी कम हैं. इससे प्राकृतिक पर भी प्रभाव कम हो जाएगा. सशस्त्र बलों के अनुसार, उत्तरी सिक्किम में भारी कैलिबर उपकरणों को शामिल किए जाने और चीन के सीमा की संवेदनशीलता के कारण यह ऑपरेशन महत्वपूर्ण है.
सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन जरूरत' बताया
सुरक्षा कारणों और सीमा की निकटता को देखते हुए हेवी क्षमता वाले उपकरणों को सिक्किम से हटाकर बाहर ले जाना संभव नहीं है. सशस्त्र बलों ने इस नए फाइरिंग रेंज की स्थापना को ‘ऑपरेशन जरूरत' बताया. उन्होंने आगे कहा कि उनका इरादा इस रेंज में साल में दो बार अभ्यास करने का है.
इससे क्या होगा प्रभाव?
हालांकि, प्रस्तावित फायरिंग रेंज के आसपास कई अधिक ऊंचाई वाली झीलों ताशा चो, गोचुंग त्सो, त्सो टार्न आदि के अस्तित्व के कारण पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी हैं. तीस्ता नदी की एक सहायक नदी लैंचेन नदी से निकटता भी चिंताजनक है, क्योंकि भारी कैलिबर उपकरणों की फायरिंग से गाद के भार और जल निकासी पैटर्न पर संभावित प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा कमजोर पर्वतों पर भी कंपन का प्रभाव पड़ता है.
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