CPM U Turn In INDIA: केंद्र की सत्ता से बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बने विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया में दरार पड़ने लगी है. मुंबई में हुई गठबंधन की बैठक में कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने और उसमें अपना प्रतिनिधि भेजने की सहमति देने के बावजूद सीपीएम (माकपा) ने यू टर्न ले लिया है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार (17 सितंबर) को कोलकाता में हुई पोलित ब्यूरो की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पार्टी कोआर्डिनेशन कमेटी में अपना सदस्य नहीं भेजेगी. हालांकि पार्टी गठबंधन में बनी रहेगी.


इसके साथ ही सीपीएम की बंगाल इकाई के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव (2024) में उनकी लड़ाई बीजेपी के साथ-साथ टीएमसी से भी होगी. इससे स्पष्ट है कि इंडिया गठबंधन पैन इंडिया लेवल पर बीजेपी के खिलाफ एकजुट मुकाबला नहीं कर सकेगा.


बंगाल इकाई को TMC से समस्या


सीपीएम के अंदर खाने सूत्रों ने बताया है कि पोलित ब्यूरो की बैठक ने बंगाल इकाई के नेताओं ने स्पष्ट तौर पर टीएमसी के साथ मंच साझा करने और किसी भी तरह के गठबंधन पर तीखी आपत्ति जताई. इसी तरह से सीपीएम की केरल इकाई ने राज्य में मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के साथ तालमेल को लेकर असमर्थता जाहिर की है. इसी वजह से यह निर्णय लिया गया है कि कोऑर्डिनेशन कमेटी में पार्टी अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगी.


14 सदस्यों की बनी है कोऑर्डिनेशन कमिटी


31 अगस्त से एक सितंबर तक इंडिया गठबंधन की मुंबई में हुई बैठक में 14 सदस्यों की कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था. इसमें 13 सदस्यों का निर्णय तो उसी दिन हो गया था, लेकिन 14 नंबर जगह खाली रखी गई थी. सीपीएम ने कहा था कि वह इसके लिए नाम की घोषणा बाद में करेगी. लेकिन अब जबकि निर्णय हो गया है कि इस समिति में कोई सदस्य नहीं भेजा जाना है, तो यह जगह खाली ही रहेगी.


 क्यों कोऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल नहीं होगी सीपीएम


इस बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए बंगाल सीपीएम के बड़े नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं की पैन इंडिया लेवल पर बीजेपी के खिलाफ एकजुट लड़ाई की जरूरत है. इसलिए इंडिया गठबंधन में हम हैं. यह समान विचारधारा वाली पार्टियों की एकजुटता है लेकिन बंगाल में बीजेपी, तृणमूल के समर्थन से ही मजबूत हुई है. यहां हमें बीजेपी और टीएमसी दोनों के खिलाफ लड़ना है. हम टीएमसी के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे."


सीपीएम के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने भी इसी तरह की बात कहीं. उन्होंने कहा, "बंगाल में टीएमसी भी बीजेपी के ही रास्ते पर चलती है. अगर बीजेपी से लड़ना है तो टीएमसी से भी लड़ना होगा."


बता दें कि इंडिया गठबंधन में टीएमसी के साथ नेताओं के शामिल होने को लेकर बंगाल में सीपीएम कार्यकर्ता लगातार विरोध जता रहे थे. सूबे में सीपीएम ने 33 सालों तक शासन किया है. 2011 में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में सीपीएम के नेतृत्व वाली वामदलों की सरकार को उखाड़ फेंका गया था.


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