INDIA Alliance Meeting Update: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के मकसद से बनाए गए इंडिया गठबंधन की बुधवार (06 दिसंबर) को अहम बैठक होने जा रही है. हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद इस गठबंधन की ये पहली बैठक होगी. इससे पहले विपक्षी गठबंधन को झटके पर झटके लग रहे हैं.


पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया. अब खबर है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी किनारा कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक़ बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के व्यवहार से अखिलेश यादव काफी आहत हैं. फिलहाल बैठक में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ही शामिल होंगे.


ममता बनर्जी ने क्या कहा?


विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक को लेकर ममता बनर्जी ने कहा था, “मुझे इंडिया गठबंधन की बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं है. न किसी ने मुझे इस बैठक के बारे में बताया औऱ न ही मुझे फोन करके सूचित किया गया. उत्तरी बंगाल में मेरा 6 से 7 दिन का एक कार्यक्रम है. इसके अलावा भी मैंने कई अन्य योजनाएं बनाई हैं. अगर वो मुझे बैठक के लिए बुलाते हैं तो मैं अपनी ये योजनाएं कैसे बदल सकती हूं.”


अधीर रंजन चौधरी ने दिया ममता बनर्जी को जवाब


पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बयान पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''चुनावों से पहले भी उनका रवैया ऐसा ही था. पांच राज्यों में चुनाव थे लेकिन उन्होंने कभी भी लोगों से बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को वोट देने की अपील नहीं की.''


मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी 28 दलों को बुलाया


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया गठबंधन के सभी 28 दलों को बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली बुलाया है लेकिन तीन बड़े नेताओं के रुख से लग रहा है कि ये लोग बैठक में शामिल नहीं होंगे. सपा सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अखिलेश यादव की जगह प्रो. रामगोपाल यादव के शामिल होने की बात कही जा रही है.



विधानसभा चुनाव ने बढ़ाई नाराजगी


दरअसल, पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी गठबंधन न किए जाने को लेकर सार्वजनिक मंचों से आलोचना कर चुके हैं. इसके अलावा इन चुनावों में कांग्रेस को हिंदी पट्टी राज्यों में मिली हार को भी सभी दल तौल रहे हैं. देश में कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश तक कांग्रेस के सिमट जाने से इंडिया गठबंधन में पार्टी की स्थिति भी कमतर हुई है. उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी तंज कसते हुए कहा था कि तीन महीने बाद कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की याद आई, जब वो तीन राज्यों का चुनाव हार गई.


उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को 5-10 सीटें दे देती तो क्या हो जाता. इसी तरह की बात कल सोमवार (04 दिसंबर) को शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कही थी. उन्होंने कहा था कि कोई पार्टी किसी इलाके में मजबूत है तो कोई अन्य इलाकों में ऐसे में गठबंधन का धर्म निभाते हुए सभी को साथ लेकर चलने की बात होनी चाहिए. उन्होंने भी कहा कि अखिलेश यादव के साथ नाइंसाफी की गई.


ये भी पढ़ें: Election Result 2023: 42 हजार वॉट्सऐप ग्रुप, 40 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ता..., इस तरह बीजेपी ने मध्य प्रदेश में लिखी जीत की स्क्रिप्ट