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INDIA Alliance Meeting: अखिलेश-मायावती को फंसाया, केजरीवाल को उलझाया, नीतीश भी आउट, यहां समझें ममता बनर्जी का पूरा गेम प्लान

ममता बनर्जी ने पीएम चेहरे के तौर पर खरगे के नाम का प्रस्ताव रखकर बड़ा दांव चला. ममता के इस दांव से कांग्रेस जीत कर भी हारती नजर आ रही है. ऐसे ही हालात बिहार में नीतीश और यूपी में अखिलेश के हैं.

INDIA Alliance Meeting: लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए बने 'INDIA' गठबंधन की मंगलवार को अहम बैठक हुई. बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने पीएम चेहरे के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नाम का प्रस्ताव रखकर सबको चौंका दिया. माना जा रहा है कि खरगे का नाम बढ़ाकर ममता ने एक तीर से कई शिकार किए हैं. हालांकि, ममता के प्रस्ताव पर खरगे ने कहा कि पहले जीतना और विपक्ष की ताकत बढ़ाना जरूरी है.

जहां ममता के इस दांव से कांग्रेस जीत कर भी हारती नजर आ रही है तो ऐसे कुछ हालात बिहार के सीएम नीतीश और लालू यादव के भी हैं. बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद से नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लग गए थे. 6 महीने पहले विपक्ष की पहली बैठक भी नीतीश के नेतृत्व में पटना में हुई थी. गठबंधन के बनने के पहले दिन से ही इस बात की चर्चा थी कि नीतीश कुमार संयोजक बन सकते हैं. जहां नीतीश विपक्षी एकता के सूत्रधार कहे जा रहे थे, लेकिन जब नेतृत्व की बात आई तो दीदी ने नीतीश की बजाय खरगे का नाम आगे कर दिया. सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन में शामिल कुछ नेताओं का मानना है कि ममता ने नीतीश कुमार को पीएम पद की रेस से बाहर करने के लिए खरगे का नाम आगे बढ़ाया. 

नीतीश हुए नाराज!

जदयू के नेता लगातार नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग कर रहे थे. इतना ही नहीं जहां जहां विपक्ष की बैठकें हुईं, वहां जदयू नेताओं ने नीतीश कुमार को पीएम चेहरा बताकर पोस्टर लगाए. मंगलवार को हुई विपक्षी गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी के ठीक बगल में नीतीश कुमार बैठे थे. जब ममता ने खरगे का नाम आगे बढ़ाया, तो नीतीश नाराज हो गए. 

एलजेपी (R) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, खरगे का नाम सुनते ही नीतीश कुमार नाराज हो गए और बैठक से निकल गए. चिराग के दावे में दम तो दिख रहा है, क्योंकि मीटिंग खत्म होने के बाद गठबंधन की जो प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई उसमें नीतीश कुमार मौजूद नहीं थे. और सिर्फ नीतीश ही नहीं बैठक खत्म होने के बाद लालू और तेजस्वी जब मीटिंग से निकले तो उनके चेहरे पर भी मायूसी की झलक दिख रही थी. दोनों ने मीडिया से भी बात करने से इनकार कर दिया. 
 
लालू समर्थकों के सपनों पर फिरा पानी!

बिहार में जब से नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हुए हैं, वे तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बता रहे हैं. लेकिन बिहार के पॉलिटिकल कॉरिडोर में इस बात की चर्चा महीनों से हो रही है कि नीतीश जब राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे तब तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन मीटिंग में ममता ने जो दांव चला उसमें नीतीश रेस से बाहर हो गए और लालू समर्थकों के सपनों पर भी पानी फिरता हुआ दिखने लगा. 

माना जा रहा है कि बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में नीतीश कुमार कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं. हालांकि, फैसला क्या होगा, इसकी तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन 29 दिसंबर को होने वाली जदयू की बैठक में कुछ चौंकाने वाला फैसला जरूर आ सकता है. पहले 29 दिसंबर को दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी थी. लेकिन अब कल के फैसले के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग भी बुलाई है. राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग में देश भर के करीब 200 से ज्यादा बड़े नेता शामिल होंगे. ये मीटिंग जब भी होती है तब कोई बड़ा सियासी फैसला लिया जाता है. 

क्या इस बार यूपी से नहीं गुजरेगा दिल्ली का रास्ता?

कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से गुजरता है. इसकी मुख्य वजह राज्य में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. और ऐसे में विपक्ष की तरफ से अखिलेश यादव और मायावती की दावेदारी बड़ी हो जाती है. लेकिन ममता ने खरगे के नाम का दांव ऐसा चला कि सबसे बड़े सूबे के सियासी सूरमा भी ढेर हो गए. 

ममता दीदी ने  खरगे का नाम बढ़ाकर अखिलेश की कप्तानी पर दावेदारी पर विराम लगा दिया. यही वजह है कि जब अखिलेश के सामने खरगे का नाम आया तो वो इधर उधर की बातें करने लगे. जबकि गठबंधन की बैठक से ठीक पहले ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव से अलग से मुलाकात की थी. इस दौरान अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी मौजूद रहे. लेकिन गठबंधन की बैठक में ममता ने मल्लिकार्जुन खरगे के नाम की पीएम रेस में एंट्री करवा दी. 

2019 में क्या थे यूपी के नतीजे?

 - यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं
- 2019 में एसपी-बीएसपी का गठबंधन था
- तब एनडीए को 64 सीटें मिली थी
- एसपी-बीएसपी को 15 सीट और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी 

ममता के गेम प्लान में उलझी कांग्रेस-बसपा

फिलहाल ममता ने खरगे का नाम आगे करके अखिलेश की दावेदारी को कमजोर कर दी है. इतना ही नहीं इस दांव से ममता ने सिर्फ अखिलेश को ही नहीं बल्कि कांग्रेस की रणनीति को भी उलट पलट दिया है. 

दरअसल, राजनीतिक गलियारे में चर्चा है, कांग्रेस चाहती है कि यूपी में बीएसपी भी गठबंधन का हिस्सा बने. अखिलेश को साथ रखकर कांग्रेस का नेतृत्व मायावती से गठबंधन की गुंजाइश तलाश रहा है. लेकिन खरगे का नाम आगे होने से 
मायावती असहज हो सकती हैं. खरगे का नाम दलित चेहरे की वजह से आगे हो रहा है और यूपी में तो मायावती को ही दलितों का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है. हालांकि बीएसपी के नेता अभी यही कह रहे हैं कि कांग्रेस के साथ उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा है. 

बीएसपी सांसद मलूक नागर ने कहा, कांग्रेस खुद हर जगह बसपा विधायकों को तोड़ रही है ऐसे में हम उसके साथ कैसे जा सकते हैं. पहले यह गठबंधन चलेगा यह तो सिद्ध हो जाए, उसके बाद मायावती कोई फैसला लेंगी. लेकिन जब बात अस्तित्व बचाने की हो तो पुरानी बातें पुरानी हो जाती हैं. फिलहाल ममता ने गठबंधन में रहते हुए गठबंधन के साथ गेम कर दिया है. अब इसका असर क्या होता है ये आने वाले दिनों में पता चलेगा. 

 ममता की गुगली में फंसे केजरीवाल

ममता ने पीएम फेस के लिए खरगे का नाम आगे बढ़ाया तो केजरीवाल ने समर्थन तो जता दिया, लेकिन खुद AAP का पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस के साथ गणित सेट नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि क्या ममता ने केजरीवाल को भी अपनी गुगली में फंसा दिया. 

AAP ने जिस तरह से दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनी है, उसके बाद से दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच तलवारें खिंची हुई हैं. सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी भी पंजाब में कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार नहीं है लेकिन दिल्ली में गठबंधन को लेकर चर्चा के लिए तैयार है. उधर, दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस नेता लगातार आप से गठबंधन का विरोध करते रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर केजरीवाल ममता के प्रस्ताव पर समर्थन करने के लिए कैसे तैयार हो गए, जब दोनों तरफ से जमीन पर माहौल मुफीद नहीं है. 

दरअसल, दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक हुई लेकिन उससे एक दिन पहले ही 18 दिसंबर को ममता बनर्जी ने केजरीवाल से मुलाकात की थी. मुलाकात की इन तस्वीरों को केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर शेयर किया. इसमें उन्होंने लिखा, ममता दीदी से शिष्टाचार मुलाकात हुई. इस दौरान उनसे देश के राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर दीदी और केजरीवाल में ऐसी क्या राजनीतिक बात हुई कि एक दिन बाद ही केजरीवाल ने खरगे को पीएम फेस बनाने की दीदी की मुहिम का खुलकर समर्थन किया वो भी तब जब केजरीवाल से मुलाकात से पहले पीएम पद पर ममता की राय जुदा थी. 
 
राहुल की दावेदारी पर ममता ने लगाई सेंध

तो क्या ममता ने केजरीवाल के साथ मिलकर राहुल गांधी की पीएम पद की दावेदारी पर अंकुश लगा दिया. आखिर दीदी के दिमाग में क्या चल रहा है? इंडिया गठबंधन की छतरी तले भले ही कांग्रेस, टीएमसी और लेफ्ट एक साथ हो लेकिन पश्चिम बंगाल में टीएमसी के सामने कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन की चुनौती है. क्या खरगे का नाम आगे कर ममता ने कांग्रेस लेफ्ट-गठबंधन की गांठ खोल दी है. 

गठबंधन की बैठक की एक फोटो भी सामने आई है. इस फोटो राहुल गांधी के एक तरफ ममता बनर्जी बैठी हैं और दूसरी तरफ सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी बैठे नजर आ रहे हैं. मीडिया के कैमरे में जो तस्वीर कैद हुई उसमें राहुल गांधी येचुरी से बात करते दिख रहे हैं और इस दौरान बगल में बैठी ममता बनर्जी असहज सी नजर आ रही हैं. 
 
राहुल गांधी के एक तरफ ममता तो दूसरी तरफ येचुरी...पश्चिम बंगाल की सियासत में दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं, लेकिन लड़ना मोदी से है लिहाजा आपसी रंजिश को भुलाकर गठबंधन की छतरी के नीचे दोनों साथ हैं, लेकिन लेफ्ट और ममता के रिश्ते अब भी बेहतर नहीं हैं. यही वजह रही कि मंगलवार को खरगे का नाम ममता ने मीटिंग में लिया तो बाहर लेफ्ट के नेता इससे इनकार करते रहे.

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने तो पत्रकारों के पूछे सवाल पर ही सवाल उठा दिए. एबीपी न्यूज के रिपोर्टर जैनेंद्र से बात करते हुए सीपीआई के नेता डी राजा ने भी येचुरी की तरह ही बयान दिया. हालांकि सीपीआई एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ये जरूर कहा कि ममता ने पीएम उम्मीदवारी के लिए खरगे का नाम बढ़ाया जबकि ये एजेंडे में नहीं था. साफ है कि जिस पिच पर ममता ने बैटिंग की उस पिच पर लेफ्ट के नेता खेलना नहीं चाहते. 

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