नई दिल्लीः आखिरकार भारत और अमेरिका के बीच कल यानि 6 सितंबर को नई दिल्ली में 2+2 वार्ता शुरू होगी. ये पहली बार है जब भारत-अमेरिका 2+2 के फॉर्मेट में कोई वार्ता करेंगें. इस वार्ता को दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को ऊंचा उठाने के एक माध्यम के रुप में देखा जा रहा है. ये वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
इस वार्ता में ट्रेड वॉर, H1B वीजा और रूस को लेकर भारत-अमेरिका के रिश्तों में पड़ रही खटास को लेकर चर्चा हो सकती है. पिछले महीने, पेंटागन ने रूस से हथियारों की खरीद पर अमेरिका के प्रतिबंधों से भारत को छूट देने से इंकार किया था और कहा था कि वाशिंगटन रूसी मिसाइल रक्षा प्रणाली सौदे को लेकर चिंतित है.
स्वराज और सीतारमण करेंगी भारत की नुमाइंदगी
विदेश मंत्रालय के मुताबिक पहली बार हो रही इस 2+2 वार्ता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जून 2017 में हुई वार्ता में सहमति बनी थी. पहली बार रक्षा और विदेश मामलों पर हो रही इस संयुक्त वार्ता में भारत की नुमाइंदगी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी. वहीं अमेरिका की तरफ से रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ शरीक होंगे.
आर्थिक संबंध मजबूत करेगी ये वार्ता
अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी थॉमस जे. डोनोह्यू ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की संयुक्त बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करेगी. यह 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने में मदद करेगी.
थॉमस ने कहा, ''आप आर्थिक शक्ति के बिना रक्षा क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते हैं. विदेश व रक्षा मंत्रियों की संयुक्त बैठक में कुछ ऐसी जमीन तैयार की जाएगी जिससे न केवल हमारे रक्षा संबंधों को मजबूती मिलेगी बल्कि जो हमें 500 अरब डॉलर के (द्विपक्षीय व्यापार के) लक्ष्य की ओर भी ले जाएगी.'' थॉमस ने ये भी कहा कि सुरक्षा समृद्धि के साथ-साथ चलती है और हम अपने सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के प्रयास, आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने में भी मदद करेंगे.
रणनीतिक मुद्दों पर ज्यादा जोर देगा अमेरिका
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा है, ''आधे दर्जन से अधिक ऐसी चीजें हैं जिस पर इस वार्ता में हम आगे बढ़ना चाहते हैं. ये फैसले महत्वपूर्ण हैं. ये फैसले संबंधों के लिहाज से निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं लेकिन हम रणनीतिक बातचीत के दौरान उन मुद्दों को सुलझाते हुए खुद को नहीं देखते हैं और इस दौरान इन्हें सुलझाने का इरादा भी नहीं है. ये ऐसी चीजें हैं जो बड़ी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और अगले 20, 40 और 50 साल तक रहेंगी.''
ऐसी संभावना है कि भारत वार्ता के दौरान अमेरिका को बताएगा कि वह ‘S-400 ट्रियम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली’ खरीदने के लिए रूस के साथ करीब 4.5 अरब डॉलर का सौदा करने वाला है. इस पर पॉम्पिओ ने कहा है कि भारत का रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली और ईरान से तेल खरीदना वार्ता का हिस्सा जरूर होंगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि बातचीत इन मुद्दों पर केंद्रित रहेगी.
पॉम्पिओ ने 2+2 वार्ता के दो बार स्थगित होने पर भी खेद जताते हुए कहा, ''मैं खेद प्रकट करता हूं, दूसरी बार मेरी गलती थी. मुझे प्योंगयांग जाना था. लेकिन रक्षा मंत्री मैटिस और मैं अब इस पर आगे बढ़ने को लेकर आशान्वित हैं.'' इसे पिछले 2 महीनों से स्थगित किया जा रहा था. पहले ये वार्ता 6 जुलाई 2018 को वाशिंगटन में होनी थी.