India-US Yudh Abhyas: उत्तराखंड के औली में इन दिनों भारत और अमेरिका के बीच ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज चल रही है. ये युद्धाभ्यास एलएसी के विवादित, बाड़ाहोती एरिया के करीब हो रहा है. एलएसी का बाड़ाहोती इलाका एक डिमिलिट्राइज जोन है, जिस पर भारत और चीन अपना अपना दांवा करते आए हैं. पिछले कई सालों में चीनी सेना ने यहां कई बार घुसपैठ की कोशिश की है. साथ ही एयर स्पेस का भी उल्लंघन किया है.


उत्तराखंड खंड का औली करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर है और यहां से लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलएसी करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर है. उत्तरांखड से सटी एलएसी भारतीय सेना के सेंट्रल सेक्टर का हिस्सा है. यहां पर एलएसी का बाड़ोहती इलाका भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित रहा है. कुछ दशक पहले इसे दोनों देशों की सेनाओं ने डिमिलिट्राइज जोन घोषित किया था यानी यहां हथियारों के साथ सैनिक नहीं जा सकते हैं. 


क्यों बढ़ाई गई सुरक्षा
गलवान घाटी की हिंसा और पिछले ढाई साल से पूरी एलएसी पर चल रहे तनाव के चलते यहां रूल ऑफ इंगेजमेंट बदल गए हैं और भारत कोई भी चूक नहीं होने देना चाहता. यह वजह है कि इस इलाके से सटे एरिया में भारतीय सेना और आईटीबीपी (ITBP) की सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है. साथ ही यहां जबरदस्त निगहबानी की जाती है. गलवान घाटी की हिंसा के बाद से बाड़ाहोती और उत्तराखंड से सटी पूरी एलएसी को सेना की लखनऊ स्थित मध्य कमान (सूर्या कमान) के अंतर्गत कर दिया गया था. 


ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज क्यों अहम है? 
उत्तराखंड से सटी करीब 750 किलोमीटर लंबी एलएसी पर बाड़ाहोती के अलावा नेपाल ट्राइ-जंक्शन पर कालापानी-लिपूलेख का एरिया भी भारत और चीन के बीच विवाद का एक बड़ा कारण रहा है. पिछले दो साल के दौरान जब पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी चल रही थी, तब इस इलाके में भी चीन की सैन्य गतिविधियां बढ़ने की खबरें लगातार आती रहती थी. एक बार तो चीनी सैनिकों ने यहां भारतीय गडरियों की झोपड़ी तक जला डाली थी. यह वजह है कि औली में चल रही भारत और अमेरिका के ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज बेहद अहम हो जाती है. 


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