नई दिल्ली: पांच महीने से एलएसी पर चल रही तनातनी खत्म करने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर्स एक बार फिर 12 अक्टूबर यानी सोमवार को मिलने जा रहे हैं. दोनों देशों के कोर कमांडर्स के बीच ये सातवीं बैठक है. पिछली मीटिंग में दोनों देश एलएसी पर और अधिक सैनिकों की तैनाती ना करने के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन इसके बावजूद टकराव की स्थिति अभी भी बनी हुई है.


लेफ्टिनेंट जनरल मेनन भी रहेंगे मौजूद
जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की सातवीं बैठक एलएसी पर भारत की तरफ चुशूल में होगी. भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर ('फायर एंड फ्यूरी') के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की ये आखिरी मीटिंग होगी. क्योंकि 14 अक्टूबर से उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ले रहे हैं. हरिंदर सिंह का अपना कोर कमांडर स्तर का कार्यकाल खत्म हो गया है और अब वे देहरादून स्थित‌ आईएमए यानि इंडियन मिलिट्री एकेडमी के कमांडेंट नियुक्त कर दिए गए हैं. सोमवार को होनी वाली मीटिंग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल मेनन भी मौजूद रहेंगे.


सामने नहीं आया एजेंडा 
हालांकि, मीटिंग को लेकर एजेंडा आधिकारिक तौर से सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि भारत की तरफ से पूर्वी लद्दाख से सटी पूरी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर डिसइंगेजमेंट और डि-एसक्लेशन को लेकर प्रमुख मुद्दा रहेगा. पिछली मीटिंग के दौरान चीनी प्रतिनिधिमंडल इस‌ बात पर अड़ा था कि भारतीय सेना पैंगोंग-त्सो लेक के दक्षिण में कैलाश रेंज की गुरंग हिल, मगर हिल, मुखपरी और रेचिन ला से पीछे हट जाए.


पूरी एलएसी पर होगा डिसइंगेजमेंट
भारत ने साफ कर दिया कि डिसइंगेजमेंट होगा तो पूरी एलएसी पर होगा. ऐसी स्थिति में चीनी सेना को पैंगोंग-त्सो लेक से सटी फिंगर 4-8 के पीछे चली जाए. लेकिन चीनी सेना इसके लिए तैयार नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि टकराव और तनातनी की स्थिति अभी लंबी खिंच सकती है.


पीएम मोदी और शी जिनपिंग की होगी मुलाकात
शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में 12 अक्टूबर को होने वाली बैठक को लेकर एक उच्च स्तरीय सैन्य, राजनायिक और राजनैतिक बैठक हुई जिसमें चीन को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा हुई. आपको यहां पर ये भी बता दें कि अगले महीने यानी 17 नबम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होने जा रही है. मौका होगा वर्चुवल ब्रिक्स-सम्मिट का.


हो चुका है डोकलाम में विवाद
मई के महीने में दोनों देशों में कई सैन्य टकराव के बाद ये पहला मौका होगा जब दोनों के राष्ट्रध्यक्षों की मुलाकात होगी. यहां पर ये भी बताना बेहद जरूरी है कि वर्ष 2017 में जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच डोकलाम में विवाद हुआ था तो 73 दिन बाद टकराव मोदी और शी जिनपिंग के बीच रूस में हुई मीटिंग के बाद ही खत्म हुआ था.