भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति, तीन चरणों में हटाई जाएंगी सेनाएं
इतना ही नहीं सेनाओं के मूवमेंट को वेरिफाई भी किया जाएगा. पिछले कई महीनों से सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है.
नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद का हल निकलता दिखाई दे रहा है. दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर के कुछ हिस्सों से पीछे हटने पर सहमति जताई है. दोनों सेनाएं समझौते के तहत इस साल की अप्रैल-मई वाली स्थिति में वापस लौट जाएंगी. यह सहमति 6 नवंबर को लद्दाख के चुशूल में 8वीं वाहिनी कमांडर स्तर की बातचीत के दौरान बनी. पैंगोंग झील एरिया में इस वार्ता के एक सप्ताह के अंदर तीन चरणों में सेनाएं वापस हटेंगी.
ऐसे तीन चरणों में सीमा पर बहाल होगी शांति
सूत्रों की मानें तो इस समझौते के तहत दोनों देश टैंक और बख्तरबंद वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से एक महत्वपूर्ण दूरी पर वापस ले जाएंगे. बातचीत के अनुसार एक दिन के अंदर टैंक और बख्तरबंद वाहनों को वापस ले जाना था. यह वार्ता 6 नवंबर को हुई थी, जिसमें विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्ट्रेट जनरल ब्रिगेडियर घई ने हिस्सा लिया था.
पैंगोंग झील पर उत्तरी किनारे के पास दूसरे चरण में दोनों पक्षों को तीन दिनों में हर दिन लगभग 30 प्रतिशत सैनिकों को वापस बुलाना होगा. भारतीय सेना अपने प्रशासनिक धान सिंह थापा पोस्ट के करीब आ जाएगी, जबकि चीन ने फिंगर 8 के पहले की स्थिति में वापस जाने पर सहमति जताई है.
वहीं तीसरे और अंतिम चरण में दोनों देश दक्षिणी तट पर पैंगोंग झील क्षेत्र के साथ सीमा रेखा से अपने-अपने स्थान से हटेंगे, जिसमें चुशूल और रेजांग ला क्षेत्र के आसपास की ऊंचाई वाले क्षेत्र शामिल हैं. दोनों पक्षों ने एक संयुक्त तंत्र के लिए भी प्रतिनिधि सभाओं के साथ-साथ मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) का उपयोग करते हुए इस प्रक्रिया को सत्यापित करने के लिए सहमति व्यक्त की है.
सावधानी बरत रहा भारत
भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि इस साल जून में गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई थी और चीनी सेना के कमांडिंग ऑफिसर समेत कई जवान मारे गए थे. ऐसे में चीन भरोसे के लायक नहीं है. इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीय सुरक्षा टीम ने कड़े कदम उठाए थे. साथ ही कई ऊंचाई वाले इलाकों पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया था.