नई दिल्ली: एलएसी पर जबरदस्त तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही से रूस की राजधानी मास्को में एक लंबी मुलाकात की. माना जा रहा है कि इस मीटिंग में भारत ने दो टूक कह दिया है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति छोड़ देगा तो एलएसी पर शांति कायम हो सकती है. चीन के आग्रह पर ये मीटिंग हुई थी.


एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही से मास्को में मुलाकात की. भारतीय समयनुसार मीटिंग रात 9.30 बजे शुरू हुई और पूरे दो घंटे बीस मिनट चली. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा मंत्री के अलावा रक्षा सचिव अजय कुमार, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड स्टाफ कमेटी वाइस एडमिरल आर हरि कुमार और रूस में भारत के राजदूत शामिल थे. चीनी रक्षा मंत्री के साथ प्रतिनिधीमंडल में सभी पीएलए कए सैन्य अफसर थे. रक्षा मंत्री बनने से पहले वेई फेंगही भी पीएलए सेना की रॉकेट फोर्स के कमांडर थे.



मीटिंग की जो तस्वीरें सामने आई उनमे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने चिर-परिचित अंदाज में उंगलियों और हाथ को हवा में लहराकर चीनी रक्षा मंत्री से मुखातिब होते हुए दिखाई पड़े.


सीमा विवाद शुरू होने के बाद पहली बार भारत और चीन की इतने बड़े स्तर की मीटिंग हुई
आपको बता दें कि सीमा विवाद शुरू होने के बाद ये पहली बार है कि भारत और चीन की इतने बड़े स्तर की मीटिंग हुई है ताकि एलएसी पर चल रही तनातनी को खत्म किया जा सके. हालांकि, दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच पहले से कोई द्विपक्षीय मीटिंग तय नहीं थी लेकिन चीन ने इस बैठक के लिए पहल की और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को मास्को में ही संदेश भिजवाया गया. यहां तक की मीटिंग के लिए चीनी रक्षा मंत्री अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ उसी मास्को के मैट्रोपोलिस होटल पहुंचे जहां राजनाथ सिंह रूके हैं.


थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कही थी ये बात


हालांकि देर रात खबर लिखे जाने तक भारत की तरफ से इस मीटिंग को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है कि बैठक का क्या नतीजा निकला. लेकिन माना यही जा रहा है कि दोनों देशों ने एलएसी पर शांति बनाए रखने का मुद्दा उठाया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि एलएसी पर शांति तभी कायम की जा सके जब चीन अपनी विस्तारवादी नीति को छोड़ दे. अगर चीन ऐसा करता है तो दोनों देशों के बीच शांति कायम हो सकती है. क्योंकि शुक्रवार को लेह-लद्दाख के दौरान थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने भी कहा था कि बातचीत के जरिए एलएसी पर शांति कायम की जा सकती है.



इससे पहलो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) कांफ्रेंस में हिस्सा लेते हुए भी चीन का नाम लिया बगैर गैर-विस्तारवाद, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान, एक दूसरे पर भरोसा करना और आपसी सहयोग को एससीओ-क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बताया था.



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