नई दिल्ली: एक तरफ जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है ऐसे में खबर आई है कि भारत और चीन जैसे देश हथियारों पर खर्च करने वाले देशों की टॉप लिस्ट में पहुंच चुके हैं. यहां तक की इन दोनों देशों ने सैन्य साजो सामान पर खर्च करने में रूस को भी पीछे छोड़ दिया है.
ग्लोबल एजेंसी, सिपरी (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और भारत हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान पर खर्च करने में अमेरिका के बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर है. रूस चौथे और सऊदी अरब पांचवे नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में अमेरिका ने कुल 732 बिलियन डॉलर यानि करीब करीब 56 लाख करोड़ रूपये खर्च किए, जो वैश्विक मिलिट्री-खर्च का 38 प्रतिशत है.
चीन ने एक साल में 261 बिलियन डॉलर अपनी सेना और सैन्य साजो सामान पर खर्च किए, यानि करीब 19 लाख करोड़. वही भारत ने वर्ष 2019 में 71.1 बिलियन डॉलर यानि करीब साढ़े पांच लाख करोड़ रूपये खर्च किए जो पिछले साल यानि 2018 के मुकाबले में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी. 2019 में भारत का ग्लोबल मिलिट्री-खर्च में 3.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जबकि चीन की 14 प्रतिशत है. वहीं पांचवे नंबर पर पहुंच चुके रूस की हिस्सेदारी 3.4 प्रतिशत है.
दुनियाभर में हथियार और सैन्य साजो सामान का लेखा-जोखा रखने वाली सिपरी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सैन्य साजो सामान पर इतना ज्यादा खर्च चीन और पाकिस्तान से तनाव और दुश्मनी के चलते करता है.
आपको बता दें कि भारत का इस साल (2020-21) का रक्षा बजट करीब 4.71 लाख करोड़ रूपये था, लेकिन इसमें 1.33 लाख करोड़ रूपये पूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए थे. साथ ही सैनिकों की सैलरी पर 2.18 लाख करोड़ रूपये थे, जबकि सेना के आधुनिकिकरण यानि नए हथियारों और सैन्य साजो सामान खरीदने के लिए मात्र 1.18 लाख करोड़ रूपये ही थे. लेकिन लगातार बढ़ते रक्षा बजट को लेकर सेना से लेकर सरकार तक चिंतित है.
मोदी सरकार ने सेना को कम करके उसे और अधिक युद्ध-क्षमता बनाने के लिए एक शेकतकर कमेटी का गठन किया था. इसका उद्देश्य सेना को ‘पूंछ से कम कर उसके दांतो को और नुकीले बनाना था’ यानि सेना के गैर-जरूरी विभागों को खत्म कर ऑपरेशन्ल विंग्स को मजबूत करना था. शेकतकर कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है और इसके कई सुझावों को सेना और सरकार ने मान भी लिया है. इसके बाबजूद हाल ही में जापान के रक्षा मंत्रालय ने जो ग्लोबल रिपोर्ट जारी की थी उसमें भारतीय सेना को दुनिया की सबसे बड़ी फौज करार दिया था जो चीन की सेना से भी बड़ी है.
देश के रक्षा बजट को सही तरीके से खर्च करने को लेकर हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के वरिष्ट कमांडर्स से वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी. इस मीटिंग में रक्षा मंत्री ने सैन्य कमांडर्स से गैर-जरूरी खर्चों से बचने की हिदायत दी थी. क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के बाद अर्थव्यवस्था पर काफी भार पड़ने वाला है.
लेकिन इस बैठक के दौरान रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि किसी भी तरह से कोरोना वायरस के दौर में दुश्मन इसका फायदा ना उठाने पाए. इसके लिए जरूरी है कि भारतीय सशस्त्र बल अपने युद्धक-क्षमताओं को मजबूत बनाए रखें. क्योंकि कोरोना वायरस के दौर में भी चीन और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में आतंकियों को भेजना लगातार जारी है और युद्धविराम का उल्लंघन भी जारी है. चीन भी हिंद महासागर में किसी ना किसी तरह से अपने फुटप्रिंट बढ़ाने की जुगत में है.