नई दिल्ली: भारत-रूस ने 39,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले पांच एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम डील को हरी झंडी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता के बाद डील पर दस्तखत किए गए. दोनों नेताओं के बीच शिखर बैठक आज सुबह नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में शुरू हुई जहां क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई.


अंतरिक्ष में भी होगा सहयोग
एस- 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के अलावा भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष में भी सहयोग को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं. इसके तहत रूस के साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क के पास एक भारतीय स्टेशन बनाया जाएगा जिसके सहारे निगरानी का काम किया जाएगा.






विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने हैदराबाद हाऊस में दोनों नेताओं की तस्वीर के साथ ट्वीट किया, ‘‘गर्मजोशी और स्नेह से परिपूर्ण संबंध. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 19वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय बैठक में स्वागत किया जो इस साल सार्थक सम्पर्क की श्रृंखला है.’’






रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां पहुंचने पर कल पुतिन की अगवानी की थी. उसके बाद पुतिन सीधे लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास गए जहां दोनों नेताओं ने बैठक की. बाद में प्रधानमंत्री ने उनके लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया था.






शिखर सम्मेलन में दोनों नेता विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा करेंगे. इनमें मास्को के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध और आतंकवाद विरोधी सहयोग शामिल हैं. रूसी राष्ट्रपति के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और व्यापार एवं उद्योग मंत्री डेनिस मंतुरोव शामिल हैं.


क्या है एस- 400 मिसाइल सिस्टम



एस 400 मौजूदा दौर का बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. ये अमेरिका के थाड मिसाइल सिस्टम से बेहद अधिक मारक क्षमता वाला है. ये जमीन से हवा में मार करने वाले सिस्टम से लैस है. रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने इसे विकसित किया है.

ये S-300 सीरीज का एडवांस वर्जन है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर और ऊंचाई 30 किलोमीटर की है. भारत के पास अभी ऐसी सिर्फ दो मिसाइलें बराक और आकाश हैं. दोनों की रेंज 100 किमी से ज्यादा नहीं है. ऐसे में एस 400 से ताकत भारत की ताकत में बहुत ज़्यादा इजाफा होगा.

ये मिसाइल सिस्टम 5 मिनट में हमले के लिए तैयार हो जाता है. वहीं, ये एक साथ 100 टारगेट पर निशाना साध सकता है. चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों से निपटने में ये बेहद कारगर साबित हो सकता है.

अमेरिका ने दी खरीद के खिलाफ दी थी चेतावनी
हालांकि, इस खरीद के पहले अमेरिका ने सहयोगी देशों को चेतावनी जारी की है. ये चेतावनी रूस के साथ किसी तरह के हथियार खरीद को लेकर जारी की गई है. अमेरिका ने रूस पर पाबंदियां लगा रखी हैं और इस सबसे शक्तिशाली देश का दुनिया से कहना है कि इन पाबंदियों को मुख्यतौर पर हथियार खरीद और बड़े सौदों के परिप्रेक्ष्य में ही लागू किया जाएगा. अमेरिका ने ये बयान रूसी राष्ट्रपति के भारत पहुंचने के एक दिन पहले यानी बुधवार को दिया है और अब जब भारत-रूस के बीच एस- 400 मिसाइल सिस्टम समेत कई बड़े समझौते हो सकते हैं, तो आइए आपको बताते हैं कि क्या है अमेरिक का कानून CAATSA जिसका साया भारत-रूस के इन सौदों पर मंडरा रहा है.

क्या है CAATSA
अमेरिका ने अपने दुश्मनों पर लगाम लगाने के लिए 'काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरी थ्रू सैंक्शंस एक्ट' (CAATSA- काटसा) पास किया है. अमेरिका के इस घरेलू कानून का मतलब और अभिप्राय ये है वो इसके तहत अपने दुश्मनों पर पाबंदियां लगाकर उनकी लगाम टाइट कर सके. इस कानून के तहत अमेरिका ऐसे किसी भी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने को तैयार और सक्षम है जो रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देते हों.

अमेरिका ने कहा, "हम अपने मित्र और सहयोगी देशों से अपील करते हैं कि वो रूस के साथ ऐसा कोई समझौता न करें जो काटसा कानून का उल्लंघन करते हों." अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के एक प्रवक्ता ने ये बयान उस सवाल के जवाब में दिए जिसमें उनसे भारत और रूस के बीच होने वाले संभावित एस- 400 समझौते के बारे में पूछा गया था. इस कानून के तहत अमेरिका ने रूस के तेल और गैस व्यापार पर पाबंदियां लगा रखी हैं. वहीं, इन पाबंदियों की जद में रूस के हथियार व्यापार और आर्थिक संस्थान भी आते हैं.


अमेरिका के प्रवक्ता ने ये भी कहा, "काटसा कानून के सेक्शन 231 के मुताबिक ये उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है जो अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों. इसमें एस- 400 एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम शामिल है (क्योंकि ये गुणात्मक क्षमता बढ़ाने में अहम साबित होगा)."


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