अब और ताकतवर बनेगा भारत! अमेरिका के साथ मिलकर परमाणु रिएक्टरों का करेगा डिजाइन और निर्माण, चीन को मिलेगी टक्कर
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के तहत, अमेरिकी कंपनी अब भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र डिजाइन कर सकेंगी. यह समझौता पहले 2007 में हुआ था, लेकिन लागू होने में 20 साल लग गए.

India US Deal: दशक पहले हुए भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते (Civil Nuclear Agreement) के तहत अमेरिकी ऊर्जा विभाग या DoE ने एक अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को संयुक्त रूप से डिजाइन करने की अनुमति देते हुए अंतिम मंजूरी दे दी है. इससे पहले साल 2007 में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते की समग्र रूपरेखा पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने हस्ताक्षर किए थे. लेकिन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अंततः हरी झंडी मिलने में लगभग 20 साल लग गए. इस दौरान बातचीत, विस्तृत चर्चा, कानूनी और नियामक मंजूरी, प्रौद्योगिकी परमिट, देयता खंड और ब्लूप्रिंट को ठीक किया गया.
अब तक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के तहत अमेरिकी कंपनियां भारत को परमाणु रिएक्टर और उपकरण निर्यात कर सकती थीं. लेकिन उन्हें भारत में परमाणु उपकरणों के किसी भी डिजाइन कार्य या निर्माण से मना कर दिया था. सरकार इस बात पर अड़ी रही कि डिजाइन, निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से लेकर हर काम भारत में ही होना चाहिए. अमेरिका और भारतीय कंपनियां अब संयुक्त रूप से छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर या एसएमआर का निर्माण करेंगी. इसे भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. यह मंजूरी 26 मार्च, 2025 को दी गई.
अमेरिका ने रखी ये शर्त
हालांकि, अमेरिका ने ये शर्त रखी है कि संयुक्त रूप से डिजाइन और निर्मित इन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को "संयुक्त राज्य सरकार की पूर्व लिखित सहमति के बिना भारत या संयुक्त राज्य के अलावा किसी अन्य देश में किसी अन्य इकाई या अंतिम उपयोगकर्ता को फिर से हस्तांतरित नहीं किया जाएगा.
भारत को क्या होगा फायदा
इस डील से भारत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को डिजाइन करने और निर्माण करने में विशेषज्ञता हासिल करेगा. भारत के पास वर्तमान में 220MWe PHWR या दबाव वाले भारी जल रिएक्टरों की क्षमता वाले छोटे परमाणु रिएक्टरों में विशेषज्ञता है, अब PWR या दबाव वाले जल रिएक्टरों की अधिक उन्नत तकनीक वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने की तकनीक प्राप्त करेगा.
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