नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ी खबर है. पिछले पांच सालों में भारत के हथियारों के आयात में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है. हालांकि, भारत अभी भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश है, लेकिन भारत की ग्लोबल ट्रेड में हिस्सेदारी कम हुई है. ये खुलासा, ग्लोबल थिंकटैंक, सिपरी की ताज़ा रिपोर्ट मे हुआ है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की दुनियाभर में हथियारों के आयात में हिस्सेदारी कम हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-15 के बीच में हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी कुल 14 प्रतिशत थी, लेकिन 2016-20 के बीच ये गिरकर 9.5 प्रतिशत रह गई. वहीं, दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों को आयात करने वाले देश, सऊदी अरब का इस अवधि में हिस्सेदारी 7.1 से बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई.
लेकिन सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के आयात में गिरावट की वजह पेचीदा रक्षा सौदों की प्रक्रिया और रूस पर कम निर्भर होने की वजह से हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, रूस अभी भी भारत को सबसे ज्यादा हथियार और गोला-बारूद देने वाला देश है, लेकिन इस अवधि (2011-15 और 2016-20) के बीच रूस की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से 53 प्रतशित हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब रूस की बजाए अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों से हथियार आयात कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान से चल रही तनातनी के चलते अगले पांच सालों में भारत के आयात में वृद्धि होने की संभावना है.
लेकिन, जानकारों की मानें तो भारत के हथियारों के आयात में इसलिए भी गिरावट आई है क्योंकि अब भारत स्वदेशी हथियारों पर अधिक निर्भर (आत्मनिर्भर) होने की कोशिश में जुटा है. क्योंकि, भारत अब एलसीए तेजस फाइटर जेट्स, डीआरडीओ द्वारा निर्मित टैंक, मिसाइल और गोलाबारूद को आयात से ज्यादा तरजीह दे रहा है. भारत खुद की पनडुब्बियां हो या फिर युद्धपोत, खुद देश में ही तैयार कर रहा है.
सिपरी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, हथियारों के निर्यात में अमेरिका सबसे ऊपर है. अमेरिका के बाद दूसरा नंबर है रूस का और तीसरा है फ्रांस का, जर्मनी चौथे नंबर पर है तो चीन पांचवें नंबर पर. हथियारों के आयात में सऊदी अरब और भारत के बाद नंबर आता है इजिप्ट (मिस्र), आस्ट्रेलिया और चीन का.