चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए सेना की तैयारी, अरुणाचल सेक्टर में जवानों को दी जा रही है स्पेशल ट्रेनिंग
India Army Training In Near China: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ दो साल से अधिक समय से चल रहे तनाव के बीच भारतीय थल सेना अपने सैनिकों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रही है
![चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए सेना की तैयारी, अरुणाचल सेक्टर में जवानों को दी जा रही है स्पेशल ट्रेनिंग India Army Training in LAC ladakh and Arunachal Pradesh in a view of China Conflict चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए सेना की तैयारी, अरुणाचल सेक्टर में जवानों को दी जा रही है स्पेशल ट्रेनिंग](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/07/6fc34e58b36c4f0dcfc7b0d9e9e268c41662566814803528_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
India Army Training: भारतीय थल सेना (indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अपने सैनिकों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रही है ताकि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के बीच अपनी युद्धक तैयारियों को बढ़ावा दिया जा सके. इसके साथ ही सेना इस क्षेत्र में अपने जवानों का 'पुनर्संतुलन' स्थापित कर रही है.
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ दो साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच सेना अपनी समग्र युद्ध तैयारियों को बढ़ावा देने के लिए ये उपाय कर रही है. वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि सड़कों, पुलों और गोला-बारूद डिपो के निर्माण से लेकर अपने निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने तक सेना एलएसी के पास पूर्वोत्तर के आरएएलपी क्षेत्र (शेष अरुणाचल प्रदेश) में सैनिकों को तुरंत लामबंद करने के लिए सैन्य बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रही है.
‘2 माउंटेन डिवीजन’ के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग (GOC) मेजर जनरल एम. एस. बैंस ने कहा कि इस क्षेत्र में थल सेना का ध्यान पूरी तरह से उत्तरी सीमा की ओर है और उग्रवाद विरोधी सभी अभियान अब असम राइफल्स द्वारा चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़कों, पुलों, सुरंगों, हेलीपैड और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित क्षमता विकास परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा के तहत लागू किया जा रहा है, खासकर ऊपरी दिबांग घाटी क्षेत्र में. मेजर जनरल बैंस ने रिपोर्टरों के एक ग्रुप से कहा, 'इस क्षेत्र में हमारी समग्र युद्ध तैयारियां उच्च कोटि की हैं.'
4जी के लिए मोबाइल टावर लगाने कर रही तैयारी
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किबिथू, वालोंग और हयुलियांग जैसे सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में 4जी दूरसंचार नेटवर्क के विस्तार पर भी ध्यान दिया जा रहा है. चीन ने एलएसी के पास अपनी ओर बड़ी संख्या में मोबाइल टावर लगाए हैं और कुछ क्षेत्रों में भारतीय फोन चीनी नेटवर्क को पकड़ लेते हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अन्य हितधारकों के साथ मिलकर सेना एक पंचवर्षीय योजना (2021-2025) के तहत दीर्घावधिक दृष्टिकोण के साथ क्षमताओं का विकास कर रही है और चीन के साथ एलएसी पर सतर्कता बढ़ाने के लिए बलों के 'पुनर्गठन, पुनर्संतुलन और प्रशिक्षण' पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वायु सेना भी नए हेलीपैड के निर्माण और उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) की क्षमताओं का विस्तार करने सहित अपने ढांचे को मजबूत कर रही है. एक अधिकारी ने कहा कि चीन बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है और हम भी तेजी से विकास करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या सुधार हुए?
आरएएलपी क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में सैनिकों के प्रशिक्षण (ओरिएंटेशन) के बारे में अधिकारियों ने कहा कि 73 माउंटेन ब्रिगेड को छोड़कर सेना की अन्य सभी इकाइयां अब एलएसी पर चुनौतियों से निपटने की दिशा में काम कर रही हैं. 73 माउंटेन ब्रिगेड को राज्य के चार जिलों में उग्रवाद रोधी अभियानों को जारी रखने का काम सौंपा गया है. इस बल का मुख्यालय ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास लैपुली में है.
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर में समग्र कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. इसलिए उग्रवाद विरोधी अभियान असम राइफल्स द्वारा चलाए जा रहे हैं और सेना एलएसी के साथ सैनिकों के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रही है.' एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, 'जीवंत ग्राम कार्यक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश के पांच जिलों के 990 गांवों की पहचान की गई है.'
अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में एलएसी से लगे अग्रिम स्थानों पर मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) सहित नए जमाने के निगरानी उपकरण तैनात किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षमता विकास पहल का उद्देश्य सैनिकों को तेजी से एकत्र करना है.
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