बेंगलुरु: भारतीय सेना को इस साल महिला सैनिकों पहला बैच मिल जाएगा. बेंगलुरु के कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस (CMP) में महिला सैनिकों के दस्ते की कड़ी ट्रेनिंग चल रही है. साल 2017 में ये फैसला लिया गया था कि महिलाओं को जवान के रैंक यानि सिपाही और हवलदार के पद पर तैनात किया जाए. इसके बाद दिसंबर 2019 में कुल 101 महिलाओं को चयनित किया गया था. अब महिला सैनिक दस्ते की ट्रेनिंग जारी है.


महिला सैनिकों के पहले बैच की ट्रेनिंग 6 जनवरी 2020 को शुरू हुई थी. इस महिला दस्ते की कुल 61 हफ्तों की ट्रेनिंग है. पहले 19 हफ्ते बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके बाद प्रोवोस्ट और एडवांस मिलिट्री-पुलिस की ट्रेनिंग दी जाएगी.


पहली बार सेना में जवान के रैंक पर महिला की भर्ती
अब तक भारतीय सेना में महिला केवल सैन्य अधिकारी हैं और यह पहली बार है कि महिलाओं को गैर-अधिकारी श्रेणी में शामिल किया जाएगा. जवान के रैंक पर पहली बार महिलाओं की भर्ती की गई है. सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती 1992 में शुरू हुई थी. उस वक्त महिला सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत ही चुनिंदा विंग और ब्रांच में ही कार्य कर सकती थीं. शॉर्ट सर्विस कमीशन होने के चलते वे सिर्फ लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक ही पहुंच सकती थीं.


2030 तक 1700 महिला सैनिकों को शामिल करने की योजना


भारतीय सेना साल 2030 तक करीब 1700 महिला सैनिकों को कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस में शामिल करने का प्लान बना रही है ताकि धीरे-धीरे कर उन्हें सेना का अहम हिस्सा बनाया जा सके.


बता दें, साल 2019 में सेना ने महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने का ऐलान किया था. लेकिन उससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उन 332 महिला अधिकारियों को भी स्थाई कमीशन देने का आदेश दे दिया था जो पिछले कई सालों से सेना में अपनी सेवाएं दे रही थीं. परमानेंट यानि स्थायी कमीशन के मायने ये हैं कि अब सेना में महिला अधिकारी भी कर्नल ब्रिगेडियर या फिर जनरल रैंक के पद तक पहुंचने के लिए योग्य मानी जाएंगी. अभी तक शॉर्ट सर्विस कमीशन यानि 20 साल से पहले ही उन्हें रिटायर कर दिया जाता था और वे लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से आगे नहीं बढ़ पाती थीं.


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