नई दिल्ली: कुलभूषण जाधव के मसले पर हेग की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में सुनवाई हुई. भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मजबूती से अपना पक्ष रखा. भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने सुनवाई के नाम पर एक स्वांग रचाया, जिसमें रत्ती भर भी सबूत पेश नहीं किया. भारत ने फांसी की सज़ा को ख़ारिज़ करने की ज़ोरदार मांग की. उधर, पाकिस्तान ने केस को अंतरराष्ट्रीय अदालत में लाने पर ही सवाल उठाया.


वकील हरीश साल्वे ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा


भारत के वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘’मौजूदा स्थिति बहुत ही चिंताजनक है, इसलिए हमने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास अपील की है.’’ कुलभूषण जाधव की फांसी के खिलाफ हेग की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भारत को पहले अपना पक्ष रखने का मौका मिला. भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की गैरकानूनी करतूतें कोर्ट के सामने गिनाईं.


पाकिस्तान ने विएना संधि का उल्लंघन किया - भारत


भारत के वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘’ट्रायल की शुरुआत कुलभूषण जाधव को बिना उसके अधिकारी की जानकारी दिए शुरू की गई. विएना संधि के तहत भारत को काउंसलर एक्सेस भी नहीं दिया गया. आरोपी को न्यायिक मदद भी नहीं दी गई.’’



भारत ने जाधव की फांसी को गैरकानूनी करार देने की मांग की


इसके अलावा साल्वे ने दलील में कहा कि भारत ने दिल्ली में पाकिस्तान हाईकमीशन के जरिए कुलभूषण जाधव के चार्जशीट की कॉपी और कानूनी प्रक्रिया की जानकारी मांगी लेकिन पाकिस्तान ने दोनों ही मांग को खारिज कर दिया. पाकिस्तान ने जाधव के परिवारवालों को वीजा भी नहीं दिया.


पाकिस्तान की ओर से पेश वकील ने मीडिया को दिखा चुके कुलभूषण जाधव का पूछताछ का वीडियो दिखाना चाहा लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया.


कौन है कुलभूषण जाधव ?


कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले हैं और नौसेना से रिटायर होकर ईरान में अपना व्यापार करते थे. तालिबान ने उन्हें ईरान से अगवा किया और फिर पाकिस्तान को सौंपा था. लेकिन पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान से 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था.



पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई है


पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर जासूसी का आरोप लगाया है. पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई है. आठ मई को भारत की अपील पर आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक का आदेश दिया था.


आईसीजे में सुनवाई के दौरान वकील हरीश साल्वे को ब्रिटिश गाउन पहनने की छूट थी, लेकिन उन्होंने भारतीय वकील की ड्रेस ही पहनी, लेकिन पाकिस्तान के वकील ने ब्रिटेन के वकीलों वाला गाउन पहनकर पाकिस्तान का पक्ष रखा.