India At UN On Disaster Management: भारत अपने सभी राज्यों और स्थानीय निकाय प्रशासन को आपदा जोखिम कम करने के लिए 2025 तक 6 अरब डॉलर के अतिरिक्त आर्थिक संसाधन मुहैया करा रहा है. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने यूएन के मंच से कहा कि यह धनराशि पहले से धनराशि 23 अरब डॉलर की रकम के अतिरिक्त है.
आपदा जोखिम कम करने के लिए बने सेंदाई फ्रेमवर्क की न्यूयॉर्क में आयोजित मध्यावधि समीक्षा (2015-2030) बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे डॉ मिश्रा ने कहा कि भारत आपदा जोखिम में कमी के मुद्दों को अत्यधिक महत्व देता है. यह भारत सरकार की लोकनीति का एक केंद्रीय विषय है.
आपदा जोखिम से निपटने के लिए क्या है भारत की नीति?
डॉ मिश्रा ने कहा कि भारत ने आपदा जोखिम में घटाने के लिए उसके प्रबंधन की सभी जरूरतों-आपदा जोखिम कटौती, उसके लिए तैयारी, उचित प्रतिक्रिया और पुनर्निर्माण आदि के लिए अपने वित्त पोषण ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव किए हैं. यह उल्लेखनीय है कि केवल एक दशक से अधिक समय में भारत ने चक्रवातों से होने वाली जनहानि को 2% से भी कम करने में कामयाबी पाई हैं.
उन्होंने कहा कि भारत अब सभी खतरों से होने वाले नुकसान के जोखिम कम करने के लिए महत्वाकांक्षी शमन कार्यक्रम विकसित कर रहा है. इसमें भूस्खलन, ग्लेशियल लेक का फटना, बाढ़, भूकंप, जंगल की आग, लू और बिजली जैसी प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं.
आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र पर क्या कर रहा है भारत?
इसके अलावा भारत आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहा है. इस कड़ी में कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल लागू करने की कवायद चल रही है जिसमें आपदा प्रबंधकों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ अलर्ट जेनरेट करने वाली एजेंसियों को एक मंच पर लाया जा सकेगा. इससे देश के 1.3 अरब नागरिकों में से हर एक तक पहुंचने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं और क्षेत्र विशेष तक अलर्ट का प्रसार सुनिश्चित होगा.
भारत ने '2027 तक सभी के लिए पूर्व चेतावनी' को लेकर की गई संयुक्त राष्ट्र महासचिव की पहल की भी सराहना की.है. डॉ मिश्रा ने कहा कि भारत के प्रयास इस वैश्विक पहल के लिए रखे गए लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होंगे.
आपदा जोखिम से निपटने की क्या है प्राथमिकताएं?
महत्वपूर्ण है कि G20 की अध्यक्षता कर रहे भारत की अगुवाई में सदस्य देश आपदा जोखिम घटाने पर मिलकर काम करने के लिए एक कार्य समूह बनाने पर सहमत हुए हैं. G20 वर्किंग ग्रुप ने इस काम के लिए पाँच प्राथमिकताएं भी तय की हैं. इसमें- सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी, लचीला बुनियादी ढाँचा, Disaster Risk Reduction के बेहतर वित्तपोषण, उचित प्रतिक्रिया के लिए सिस्टम और क्षमताएं बनाना और 'बिल्ड बैक बेटर' के साथ ही DRR के लिए इको-सिस्टम आधारित दृष्टिकोण अपनाना शामिल है. सभी देश इन प्राथमिकता वाले विषयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देंगे ताकि विश्व स्तर पर सेंदाई फ़्रेमवर्क के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके.
भारतीय टीम ने UN के मंच से यह भी बताया कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका मिलकर आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन की योजना पर भी मिलकर काम कर रहे हैं. भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि वो एसडीजी की भावना के साथ अपने ही नहीं पृथ्वी पर हर जगह आपदा जोखिम कम करने के प्रयासों में शामिल होने के लिए तैयार हैं. वसुधैव कुटुम्बकम में आस्था रखने वाले भारत का भाव यही है "किसी को पीछे न छोड़ें, पीछे कोई जगह न छोड़ें.. और किसी पारिस्थितिकी तंत्र न छोड़ें."