नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच साझेदारी के आधा दर्जन से अधिक समझौतों पर मुहर लगी. शीर्ष स्तर पर हुए इस संवाद के भारत ने बांग्लादेश को भरोसा दिया कि भारत में बनने वाले कोविड-19 रोधी टीके को बांग्लादेश को भी प्राथमिकत के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा. पीएम मोदी ने मार्च 2021 में बांग्लादेश के स्वाधीनता दिवस कार्यक्रम में शरीक होने का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया है.


बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के 50वें विजय दिवस वर्ष की शुरुआत के ऐन बाद हुई वर्चुअल शिखर बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश हमारी ‘पड़ोस पहले’ की नीति का एक प्रमुख स्तंभ है. बांग्लादेश के साथ संबंधों में मजबूती और गहराई लाना मेरे लिए पहले दिन से ही विशेष प्राथमिकता रही है. इस मौके पर दोनों देशों के बीच जहां हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक क़ई शुरुआत की गई.


दोनों देशों के बीच साझेदारी के आधा दर्जन से अधिक करारनामों पर भी मुखर लगाई गई. इसमें हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग से लेकर कृषि और सीमावर्ती इलाकों में हाथियों के संरक्षण से लेकर अपशिष्ट प्रबंधन तक अनेक समझौते शामिल हैं.


महामारी से मुकाबले पर मदद


कोविड19 महामारी में पड़ोसी बांग्लादेश को बड़ी मदद का भरोसा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम हसीना को आश्वासन दिया कि भारत में जब भी वैक्सीन का उत्पादन शुरु होगा तो बांग्लादेशी जरूरतों का भी प्राथमिकता से ध्यान रखा जाएगा. इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश को वैक्सीन उत्पादन में साझेदारी करने का भी प्रस्ताव दिया है. कोविड19 रोधी टीके पर मिले आश्वासन के साथ बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत की तरफ से बांग्लादेशी मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को बांग्ला भाषा में दी जा रही ट्रेनिंग पर भी धन्यवाद जताया.


दोनों देश मिलकर मनाएंगे 1971 की जीत का स्वर्ण जयंति जश्न


विजय दिवस यानी 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की शिकस्त और बांद्लादेश के जन्मदिन का उत्सव मनाने के ऐन बाद हुई शिखर वार्ता में भी इसका खुमार नजर आया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में ही पीएम हसीना को विजय दिवस की शुभकामनाएं दी. ध्यान रहे की भारत में 16 दिसंबर को पीएम मोदी ने रा्ष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय वर्ष कार्यक्रम का शुभारंभ किया था.


महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का जश्न धूमधाम से और मिलकर मनाने पर भी सहमति जताई. इसके लिए भारत और बांग्लादेश ही नहीं कुछ चिह्नित तीसरे देशों में भी आयोजन किए जाएंगे. मार्च 2021 में बांग्लादेश के स्वाधीनता दिवस समारोह में शरीक होने के लिए पीएम शेख हसीना की तरफ से दिए गए न्यौते को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार कर लिया है.


शिखर वार्ता के हाशिए पर सीमा प्रबंधन पर दोनों देश बढ़ाएंगे तालमेल


द्विपक्षीय शिखर वार्ता के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच जल्द ही संयुक्त सीमा सम्मेलन बुलाने पर भी राजी हुए हैं. इस बैठक के जरिए इच्छामति, कालिंदी, रायमोंगल और हरियाबंगा नदी इलाके में पिलर संख्या 1 से बाउंड्री टर्मिनस तक स्ट्रिप मैप तैयार किए जाएंगे. दोनों देशों ने कुहसियारा नदी क्षेत्र में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय सीमा को स्थाई सीमा में बदलने का फैसला किया है.


भारत ने बांग्लादेश की तरफ से पद्मा नदी के पास राजशाही जिला क्षेत्र में करीब 1.3 किमी का एक रास्ता देने का भी आग्रह किया है. भारत ने इस पर भी विचार करने का भरोसा दिया है. विदेश मंत्रालय में बांग्लादेश मामलों की प्रभारी संयुक्त सचिव स्मिता पंत ने बाताया कि दोनों देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति है कि जल्द ही सीमा क्षेत्र में जानमाल के नुकसान को समाप्त करने का फैसला किया है.दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने सीमा सुरक्षा बलों को इसके लिए सभी जरूरी प्रयास सुनिश्चित करने को कहा.


शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने सीमा पर लोगों की आवाजाही की सहूलियतें बढ़ाने के लिए वैध दस्तावेजों के साथ यात्रा करने वालों के लिए पाबंदियां घटाने का फैसला किया. इसकी शुरुआत त्रिपुरा में अखूरा और पश्चिम बंगाल में घोजदंगा चैकपाइंट पर होगी.


प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से भारत औऱ बांग्लादेश की कमजोरियों के मद्देनजर दोनों प्रधानमंत्रियों ने शिखर बैठक के दौरान आपदा प्रबंधन सहयोग के एक नए समझौते को तैयार करने के लिए कहा.



भारत और बांग्लादेश बनाएं संपर्क के नए पुल


भारत-बांग्लादेश शिखर वार्ता के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल योजना की भी शुरुआत की. विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस लाइन पर कार्गो की आवाजाही जल्द शुरु हो जाएगी. वहीं यात्री आवाजाही के लिए नियमों का प्रोटोकॉल बनाने की प्रक्रिया चल रही है.


महत्वपूर्ण है कि भारत और बांग्लादेश दोनों मुल्कों के बीच 1965 से पहले तक सक्रिय रेल लाइनों को एक बार फिर शुरु करने में लगे हैं. इस कड़ी में 6 में से 5 लाइनें अब तक शुरु की जा चुकी हैं. इस फेहरिस्त में बची करीमगंज से महिसाशन तक जाने वाली रेल लाइन को भी 2022 तक चालू कर दिया जाना है.


बांग्लादेश के रेल ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत ने जुलाई 2020 में ही दस ब्रॉडगेज इंजन मुहैया कराए हैं.


रेल ही नहीं जल मार्ग के रास्ते भी दोनों देशों के बीच लोगों और सामान की आवाजाही सुगम हो सके इसके लिए इनलैंड वॉटर-वे परियोजनाओं को बढ़ाया जा रहा है. ध्यान रहे कि बीते दिनों चट्टोग्राम बंदरगाह के इस्तेमाल पर हुए समझौते के बाद बांग्लादेश से भारत में त्रिपुरा के बीच सामान की आवाजाही शुरु हुई है. इसके अलावा सोनामुरा-दौड़कंडी के बीच भी कार्गो आवाजाही का सफल परीक्षण सितंबर 2020 में किया जा चुका है. यह दोनों देशों के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार व आवाजाही पर मौजूद प्रोटोकॉल का हिस्सा हैं.


बातचीत के दौरान बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत की म्यांमार- थायलैंड को सड़ मार्ग से जोड़ने की योजना में शामिल होने को लेकर भी दिलचस्पी दिखाई. वहीं भारत ने भी पश्चिम बंगाल के हिली को बांग्लादेश के रास्ते मेघालय के महेंद्रगंज तक जोड़ने के लिए नया रास्ता खोलने में मदद का आग्रह किया.


भारत की कोशिश भूटान, बांग्लादेश और नेपाल को भी बीबीआइएन कनेक्टिविटी लिंक से जोड़ने की है. इसके लिए बीबीआईएन मोटर व्हीकल एग्रीमेंट के लिए यात्री परिवहन औऱ कार्गो आवाजाही के प्रोटोकॉल को तय किया जा रहा है.


व्यापार कारोबार में भी होंगे मजबूत साझेदार


स्मिता पंत ने बताया कि बांग्लादेश के कारोबारियों को तीसरे देश में निर्यात के लिए भारत ने अपने बंदरागाहों की सविधा मुहैया कराने का फैसला किया है. इसके अलावा दोनों नेताओं ने अपने अपने अधिकारियों को व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता तैयार करने के लिए जरूरी स्टडी को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.


दक्षिण एशिया में भारत के सबसे बड़े व्यापार साझेदार बांग्लादेश की तरफ से इस बात का भी आग्रह किया गया कि आयात-निर्यात नितियों में किए जा रहे फैसलों की पूर्व सूचना से बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था के लिए सुविधा हो सकेगी.


तीस्ता की फांस निकालने पर भी हुई बात


भारत और बांग्लादेश के बीच करीब एक दशक से लंबित तीस्ता समझौते को अंजाम तक पहुंचाने पर भी दोनों पक्षों के बीच समहति बनी. बांग्लादेश सरकार ने इस मामले पर जहां अंतरिम समझौते का आग्रह किया वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की तरफ से इसके प्रति अपना संकल्प दोहराया. महत्वपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल सरकार के विरोध के कारण यह समझौता काफी समय से लंबित है.


दोनों नेताओं ने मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमटी, धार्ला और दूधकुमार जैसी नदियों के जल-बंटवारे पर भी अंतरिम समझौते की जरूरत पर जोर दिया जो दोनों देशों के बीच बहती हैं.