India Basmati Rice Exporters to Iran: भारत के चावल निर्यातकों ने फैसला किया है कि ईरान को बासमती चावल तभी भेजा जाएगा जब वहां से लेटर ऑफ क्रेडिट (साख पत्र) या बकाया भुगतान मिल जाएगा. ईरान पर भारतीय चावल निर्यातकों के 700 करोड़ रुपये बकाया हैं. मुद्रा संकट से जूझ रहे ईरान को भारतीय निर्यातकों के इस फैसले से झटका लगा है. दरअसल, ईरानी रियाल की वैल्यू कम होने से खाड़ी देश में मुद्रा संकट खड़ा हुआ है, जिसकी वजह से महंगाई भी चरम पर है.
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) ने ईरानी सरकार के ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (GTC) से कहा है कि ईरान हाल में भारत की ओर से किए गए चावल के निर्यात का भुगतान नहीं कर पाया है. जनवरी से मार्च के दौरान ईरान को चावल की खेप भेजी गई थी, जिसका पेमेंट बकाया है. इसलिए बकाया भुगतान करने या लेटर ऑफ क्रेडिट मिलने पर ही चावल की अगली खेप भेजी जाएगी. भारतीय निर्यातकों के फैसले पर ईरान सरकार की प्रतिक्रिया आना बाकी है.
ईरान में आयात महंगा
ईरानी मुद्रा रियाल में भारी गिरावट के चलते विदेशों से सामान खरीदना महंगा हो गया है. इस वजह से ईरान के भीतर रोजमर्रा की जरूरी चीजों की कीमत भी आसमान छू रही हैं. ईरानी मुद्रा में गिरावट की एक वजह अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध भी हैं. ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करना चाहता है, जिसे लेकर अमेरिका की ईरान से वार्ता थमी हुई है. अमेरिकी प्रतिबंध के लागू रहने की आशंका बरकरार है. इसका असर ईरानी मुद्रा की कीमत पर पड़ रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान अपनी बचत को सहेजने के लिए ग्रीनबैक और सोने पर निर्भर होने की कोशिश कर रहा है.
भारत के लिए ईरान बासमती चावल का बड़ा बाजार
बासमती चावल के निर्यात के लिहाज से ईरान भारत के लिए एक बड़ा बाजार है. इसका अंदाजा इस बात लगाया जा सकता है कि पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने बासमती चावल का जितना निर्यात किया, उसका एक चौथाई हिस्सा ईरान भेजा गया था. वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों से पहले, भारत से बासमती चावल खरीदने के मामले में ईरान करीब 13 लाख टन आयात के साथ नंबर एक पर था. वर्तमान में ईरान भारत से करीब 9 लाख टन बासमती चावल आयात करता है.
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