नई दिल्लीः हर परिवार को स्वच्छ रसोई गैस ईंधन उपलब्ध कराने की पहल से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता बन गया है. पेट्रोलियम सचिव एम एम कुट्टी ने आज कहा कि देश में एलपीजी की मांग 2025 तक 34 फीसदी बढ़ने का अनुमान है.
एशिया एलपीजी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुट्टी ने कहा कि एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या में सालाना आधार पर 15 फीसदी की बढ़त हुई है. साल 2014-15 में एलपीजी ग्राहकों की संख्या 14.8 करोड़ थी जो 2017-18 में बढ़कर 22.4 करोड़ हो गई.
उन्होंने कहा कि जनसंख्या में तेज बढ़ोतरी और गांवों व ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी पहुंच बढ़ने से एलपीजी उपभोग में औसतन 8.4 फीसदी वृद्धि हुई है. इससे 2.25 करोड़ टन के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता बन गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक 2025 तक एलपीजी उपभोग बढ़कर 3.03 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा. 2040 तक यह आंकड़ा 4.06 करोड़ टन होगा.
सरकार के उठाए गए कदम
कुट्टी ने कहा कि सरकार ने देशभर में एलपीजी की खपत बढ़ाने को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं. खासतौर से ग्रामीण परिवारों में एलपीजी उपभोग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. ग्रामीण परिवार परंपरागत ईंधन पर निर्भर रहते हैं जो उनकी सेहत को तो नुकसान पहुंचाता ही है साथ ही इससे प्रदूषण भी बढ़ता है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत 6.31 करोड़ कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. यह योजना एक मई, 2016 को शुरू हुई थी.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उज्ज्वला योजना मई, 2016 में शुरू हुई थी. इसके तहत तीन साल में पांच करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत अब तक छह करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन दिया जा चुका है और अब 2020 तक आठ करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश में एलपीजी की पहुंच 90 फीसदी पर पहुंच गई है. यह संख्या 2014 में 55 फीसदी थी. उन्होंने कहा कि हमें आठ करोड़ के अपने लक्ष्य को हासिल कर लेने की उम्मीद है.
जनवरी महीने में जीएसटी कलेक्शन 1.02 लाख करोड़ रुपये पहुंचा
मोदी सरकार के अंतरिम बजट पर क्या है देशभर के लोगों की प्रतिक्रिया, जानें यहां