India-Canada Relations: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर कनाडा को करारा जवाब दिया है. उन्होंने दोहराया कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने जिस तरह निजी और सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया वो ठीक नहीं था. उन्होंने कहा कि कनाडा को खालिस्तानियों पर लगाम लगानी चाहिए. भारत के सख्त रूख़ के बाद कनाडा जस्टिन ट्रूडो ने भी यू-टर्न लिया है.


कनाडा के अफवाहबाज प्रधान का हिंदुस्तान पर इल्जाम ने दो मुल्कों के रिश्तों को दांव पर लगा दिया. जिसने खुद जस्टिन ट्रूडो को सवालों के चक्रव्यूह में खड़ा कर दिया. अपनों की दूरी के बाद चंद वोट की खातिर आतंकी की पैरोकारी करने वाले जस्टिन ट्रूडो यू-टर्न घूमना शुरू कर दिया. चंद रोज़ पहले तक हिंदुस्तान को लेकर आक्रामक दिखने वाले ट्रूडो का विचार 180 डिग्री घूम चुका है.


जस्टिन ट्रूडो के यू-टर्न लेने की वजह


हिंदुस्तान के साथ अच्छे संबंध की दुहाई देने वाले ट्रूडो इससे पहले ज़हर उगल रहे थे लेकिन अब हृदय परिवर्तन होने लगा है. हालांकि बैकफुट पर खड़े ट्रूडो नरम लहजे में अपनी पुराने इल्जामों का बचाव भी कर रहे हैं. अपने प्रोपैगेंडा के ईर्द-गिर्द खड़ा रहना कैसे ट्रूडो की मजबूरी है, ये आपको विस्तार से बताएंगे, मगर उससे पहले जान लीजिए कि जस्टिन के विचार में अचानक से बदलाव क्यों आ गया? इसकी दो वजहें हैं.


मसलन पहली वजह ये है कि किसी भी करीबी देश ने जस्टिन ट्रूडो का साथ नहीं दिया. पहले दिन से अमेरिका एक लाइन का रटा-रटाया बयान दे रहा है कि भारत को जांच में सहयोग करना चाहिए. ट्रूडो को उम्मीद थी कि एस जयशंकर और एंटनी ब्लिंकन की बैठक में ये मुद्दा उठेगा, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से जब कनाडा-इंडिया विवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने किनारा कर लिया. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को भी जस्टिन ट्रूडो के रोने से कोई फर्क नहीं पड़ा.


फाइव आइज़ ने ट्रूडो के बयान पर इतना ही यकीन किया, या उसे आगे बढ़ाया, जितना उसे कनाडा के साथ संबंध को आगे बढ़ाने के लिए जरूरत थी. उल्टा अमेरिकी मीडिया ने तो सबूतों के साथ साबित कर दिया कि जिस हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर ट्रूडो आंसू बहा रहे हैं, वो गैंगवॉर का नतीजा है. ग्लोबल नॉर्थ ही नहीं ग्लोबल साउथ ने तो बकायदा ट्रूडो की मंसूबों पर सवालों की बौछार कर दी.


बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने कहा है कि कनाडा हत्यारों का गढ़ है. वह अपराधियों को शरण देता है. इससे पहले श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा था कि कहा था कि जस्टिन ट्रूडो बिना सबूत आरोप लगाने में माहिर हैं.


सबूत पेश नहीं कर पाए ट्रूडो


सबसे बड़ी बात ये है कि जस्टिन ट्रूडो बार-बार लगातार आरोप लगाने के बावजूद एक भी सबूत पेश नहीं कर पाए. लिहाजा भारत का रवैया भी आक्रामक रहा. इस सब के बीच कनाडा में ही जस्टिन ट्रूडो पर सवाल उठने लगे. उनके अपने सांसदों ने सवाल उठाया. विपक्षी नेताओं ने सबूत मांगे. जब जस्टिन ट्रूडो का दांव उल्टा पड़ने लगा. तब जाकर अचानक ही अब कनाडा के अफवाहबाज प्रधान को ब्रह्मज्ञान मिला. पहले कनाडा की सेना की ओर से दूत आया.  


अब खुद जस्टिन ट्रूडो भारत को महाशक्ति बताकर दोस्ती को नई ऊंचाई पर ले जाने की पैरोकारी कर रहे हैं. जाहिर है कि यही होना चाहिए. अगर यही ट्रूडो पहले करते थे यकीनन वो वैश्विक फजीहत से बच जाते.


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