India Canada Relations: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बेहद ही खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं. ऐसे में भारतीय मूल के कनाडा के पूर्व मंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच अब बहुत कम भरोसा बचा है क्योंकि वो सिख चरमपंथियों की निंदा तक नहीं करता.


इंडिया टुडे के साथ हुई बातचीत में 2004-2006 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे उज्जल दोसांझ ने कहा, “दोनों तरफ ही बहुत कम भरोसा बचा है. भारत को ट्रूडो पर भरोसा नहीं है. उनके वरिष्ठ सहयोगियों और कैबिनेट मंत्रियों में शामिल एक पर तो खालिस्तानी होने का आरोप भी लग चुका है. अब उन्हें सरकार में जगमीत सिंह का समर्थन भी मिला हुआ है. वो एक फेमस खालिस्तानी है.”


भारत ट्रूडो पर भरोसा क्यों नहीं करना चाहता?


इस बारे में वो कहते हैं, “इसका दूसरा कारण ये है कि वो हमेशा ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का चोला पहन लेते हैं और ऐसे में व्यक्त करने का अधिकारी सभी को मिल जाता है. अगर आप भारत को मित्र देश और साथी मानते हैं तो कनाडा के नेता के रूप में आपका दायित्व है कि अपने नागरिकों को बताएं कि आपको खालिस्तान की मांग करने का अधिकार है लेकिन मेरी सरकार एक मित्र देश के टुकड़े- टुकड़े करने का समर्थन नहीं करती है. उन्होंने तो छोड़िए कनाडा के किसी नेता ने ऐसा नहीं कहा.”


‘सीमा पार जाकर लोगों की हत्या नहीं करवा सकते’


वहीं भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “इंटरनेशनल लेवल पर देखें तो अगर भारत ने ऐसा किया है (निज्जर की हत्या में भूमिका), जबकि ट्रूडो ने अभी तक कोई सबूत भी नहीं दिया तो ये गलत है. आप सीमा पार जाकर लोगों की हत्या नहीं करवा सकते. भारत के लिए उचित कार्रवाई प्रत्यर्पण प्रक्रिया होनी चाहिए थी. दूसरी ओर नरेंद्र मोदी को लोकतंत्रवादी के रूप में नहीं देखा जाता. उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में नहीं देखा जाता है जो अपने देश में अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए काम करता हो. तब आपको संदेह होगा कि शायद नरेंद्र मोदी वो सब करने में सक्षम हैं जो ट्रडो ने उन पर आरोप लगाए हैं.”


‘कनाडा से बाहर नहीं जाएगा खालिस्तान मूवमेंट’


खालिस्तान मूवमेंट भारत में फैलने पर उज्जल दोसांझ ने कहा, “खालिस्तान आंदोलन कनाडा में ही रहने वाला है. जब आप भारत, पंजाब जाते हैं तो आप गैर सिखों के साथ रहते हैं. वो आपके मित्र और परिवार हैं. वो अंतर्जातीय विवाह करते हैं, वे एक साथ पढ़ते हैं और काम करते हैं. 1984 का पूरा गुस्सा समय के साथ गायब हो गया है. कनाडा में हिंदुओं और सिखों के बीच बहुत कम मेल मिलाप होता है.”


भारत कनाडा के बीच कब होगी सुलह?


इसके जवाब में वो कहते हैं, “दोनों सरकारों के बीच कोई भरोसा नही बचा है. सरकारें चीजों को जल्द ठीक करने की दिशा में भी काम नहीं कर रही हैं. मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी और जस्टिन ट्रूडो के सत्ता से बाहर होने के बाद ही दोनों देशों के बीच सुलह हो पाएगी.”


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