India-Canada Tension: कनाडा पीएम ट्रूडो के बेतुके आरोप से बिगड़े रिश्ते, लोकप्रियता गिरी, भारत का अब क्या होगा अगला कदम?
Justin Trudeau Remark: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के बेबुनियाद आरोप के बाद भारत ने सख्त लहजे में उन्हें जवाब दिया. इसको लेकर एक्सपर्ट्स ने भी अपनी राय दी.
Indian Canada Relations: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत की एजेंसियों पर खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाना दोनों देशों के बीच तल्खी का कारण बन गया. दोनों देशों के डिप्लोमैट्स को निकाल दिया गया. जस्टिन ट्रूडो के इस आरोप पर भारत ने सख्त रुक अपनाया और वीजा पर रोक लगा दी. भारत ने जब सबूत मांगे तो ट्रूडो ने कहा कि एक हफ्ते पहले ही दे चुके हैं.
भारत ने साफ कहा है कि मूल मुद्दा आतंकवाद है. कनाडा भारत विरोधी आतंकी संगठनों की शरणस्थली बन चुका है. इंडिया टुडे से बात करते हुए इंडो कनाडा के पूर्व पॉलिटिशियन डेव हायर कहते हैं कि इस तरह की गतिविधियों का समर्थन करने वाले कनाडा में सिर्फ 10 प्रतिशत लोग हैं या फिर हो सकता है कि 15 प्रतिशत हों लेकिन बाकी बचे लोग भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं.
वहीं, पूर्व विदेश सचिव विवेक काटजू ने कहा, “भारत को जस्टिन ट्रूडो ने जो कहा उसकी असलियत बाहर लेकर आनी चाहिए. सामान्य तौर पर दरवाजों के पीछे इस तरह के मुद्दों का निवारण कर लिया जाता है लेकिन दुर्भाग्य ये है कि जस्टिन ट्रूडो ने सदन में जो बयान दिया है उसका जवाब इसी तरह देना होगा.” उनका मानना है कि भारत ने कनाडा को सही जवाब दिया है.
भारत पर फर्क नहीं पड़ता
इसके अलावा, सीएनएन नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा की हालत खस्ता होने के कगार पर है. देश में में पैसों का अभाव है. साथ ही भारत से कनाडा में पढ़ाई की इच्छा रखने वाले छात्र भी नहीं जाना चाहते हैं. इन लोगों का कहना है कि जिस तरह के हालात मौजूदा समय में दोनों के बीच हैं उससे रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद लौटे छात्रों की याद आती है. जब हजारों छात्रों को वहां से लौटना पड़ा था.
कनाडा और भारत के रिश्तों में खालिस्तान की वजह से पहले भी तल्खी देखी गई है लेकिन इससे पहले ये इतने आगे नहीं बढ़े थे कि संसद में बयान दिया गया हो. जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तान के प्रति नरम रुख भारत को कभी रास नहीं आया. भारत सरकार लंबे समय से कनाडा को खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई करने के लिए कहती रही है. वो अपनी वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में खालिस्तान पर नरम हैं.
भारत के एक्शन में आते ही बदले जस्टिन ट्रूडो के सुर
भारत ने एक्शन दिखाते हुए अब तक जितने कदम उठाए उसके बाद से जस्टिन ट्रूडो के सुर भी बदल गए. भारत की ओर से सख्ती दिखाने के बाद कनाडा के व्यवसाय भी असर देखने को मिल रहा है. कई भारतीय कंपनियों ने हाथ खींचने शुरू कर दिए.
ट्रूडो की लोकप्रयिता में कमी
इसके अलावा कनाडा के ग्लोबल न्यूज में पब्लिश आईपीओएस सर्वे के मुताबिक, जस्टिन ट्रूडो की कनाडा में लोकप्रियता कम होती जा रही है. लोगों का मानना है कि कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिव्रे को प्रधानमंत्री बनना चाहिए. सर्वे के मुताबिक अगर आज की स्थिति में कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी अपनी सरकार बना सकती है.
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