India-Canada Row: भारत और कनाडा के बीच खराब हुए रिश्तों की वजह से वो पेरेंट्स सबसे ज्यादा टेंशन में नजर आ रहे हैं, जिनके बच्चे कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं. इन पेरेंट्स ने दोनों ही देशों की सरकारों से गुजारिश की है, वे इस समस्या का समाधान निकालें. दरअसल, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के जरिए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के बाद से ही दोनों देशों में तनाव है.
हरदीप सिंह निज्जर भारत से 1996 में फर्जी पासपोर्ट के जरिए कनाडा गया था. यहां पर वह खालिस्तानी गतिविधियों में शामिल था और भारत-विरोधी एजेंडा चला रहा था. इसी साल जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सर्रे शहर में एक गुरुद्वारे के बाद अज्ञात हमलावरों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. इस मामले की जांच चल रही है. लेकिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंट्स पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगा दिया है, जिसकी वजह से भारत-कनाडा संबंध खराब हुए हैं.
पेरेंट्स का क्या कहना है?
भारत-कनाडा के रिश्तों में खटास से पेरेंट्स परेशान हैं. अमृतसर की रहने वाली कुलदीप कौर की बेटियां कनाडा में पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि वह उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. उन्हें डर है कि कहीं उनके साथ कुछ बुरा नहीं हो जाए. उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सरकारों को एक साथ मिलकर समाधान ढूंढना चाहिए. कौर ने बताया कि उनकी बेटियां पिछले चार से पांच सालों से कनाडा में रहकर ही पढ़ाई कर रही हैं.
कुछ ऐसा ही डर अमृतसर के रहने वाले बलविंदर सिंह को भी है. उनकी बेटी सात महीने पहले ही कनाडा गई है. बलविंदर ने बताया, 'मीडिया में खबरें चल रही हैं कि दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है. मेरी बेटी वहां काफी टेंशन में है. वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पा रही है.' दूसरी ओर, बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स भी हैं, जो कनाडा जाकर पढ़ाई करना चाहते थे, मगर अब उन्होंने अपने प्लान पर रोक लगा दी है. इसकी वजह भारत-कनाडा के बीच पैदा हुआ तनाव है.
कनाडाई उच्चायोग भारत में मौजूदगी करेगा कम
वहीं, भारत और कनाडा के बीच तनाव और बढ़ता हुआ दिख रहा है क्योंकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शनिवार को कहा कि कनाडाई उच्चायोग भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति को कम करने वाला है. बता दें कि कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ने के बाद एक सीनियर राजनयिक को ओटावा छोड़ने को कहा था. भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली से कनाडाई राजनयिक को जाने को कह दिया.
यह भी पढ़ें: ट्रूडो के आरोप के बाद कनाडा से भारतीय छात्रों का हुआ 'मोहभंग', सता रही सुरक्षा की चिंता