Hardeep Singh Nijjar: विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाली हैं. इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि विदेश मंत्री कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों का जवाब देंगे. ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा है. हालांकि, भारत पहले ही इस बात को नकार चुका है कि पाकिस्तान में ट्रेंड हुए खालिस्तानी आतंकी की हत्या में उसका कोई रोल है. 


कनाडा की तरफ से अभी तक इस बात का सबूत पेश नहीं किया गया है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के चीफ निज्जर की हत्या में भारत का हाथ था. भारत भी कनाडा के सबूतों का इंतजार कर रहा है. हालांकि, ये बात साफ है कि ट्रूडो की सिख राजनीति उन्हें इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटने देने वाली है. एक बात को साफ नजर आ रही है कि अगर ट्रूडो सरकार की तरफ से सबूत पेश किए जाते हैं, तो उसमें भारतीय नामों के ऊपर दोष जरूर डालने की कोशिश की जाएगी. 


सिख वोट राजनीति में अहम


कनाडा की राजनीति में सिख वोट काफी मायने रखते हैं. यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में कनाडा गए थे, तो उस वक्त पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने उनसे ब्रिटिश कोलंबिया में सर्रे गुरुद्वारे में जाने का अनुरोध किया था. जस्टिन ट्रूडो की सरकार के लिए भी सिख समुदाय काफी मायने रखता है. उनकी सरकार भी एक सिख पार्टी के सहयोग से ही चल रही है. इसलिए भी उनके ऊपर निज्जर की हत्या के बाद एक्शन लेने का दबाव बन रहा था. 


भारत का पक्ष रखेंगे जयशंकर


ट्रूडो को कनाडाई संसद में भारत पर आरोप लगाने के बाद ये माना जा रहा है कि विदेश मंत्री जयशंकर कनाडा को अपने अंदाज में जवाब देंगे. उनके इस भाषण पर सबकी निगाहें रहने वाली हैं, क्योंकि वह निज्जर की हत्या को लेकर यूएन में भारत का पक्ष भी रखने वाले हैं. भारत की तरफ से पहले ही ये साफ कर दिया गया है कि निज्जर की हत्या में उसकी कोई भूमिका नहीं है. लेकिन अब ये बात पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय मंच से कही जाने वाली है. 


कौन था हरदीप सिंह निज्जर? 


हरदीप सिंह निज्जर को भारत ने वैश्विक आतंकी घोषित किया हुआ था. वह 1996 में एक फर्जी पासपोर्ट के जरिए कनाडा पहुंचा. यहां पर उसने प्लंबर के तौर पर काम शुरू किया और फिर खालिस्तानी गतिविधियां करने लगा. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. इस साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में स्थित एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात लोगों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद से ही खालिस्तानी संगठन भारत पर हत्या को लेकर बेबुनियाद आरोप लगाते रहे हैं.


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