Happy Holi 2019: रंगों का त्योहार होली आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर लोग मिलकर, रंग लगाकर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं. यही नहीं सोशल मीडिया भी बधाई संदेशों से पटा है. होली के त्योहार को धुलंडी नाम से जाना जाता है. धुलंडी पर बच्चे-बड़े सभी मिलकर हंसते-गाते एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं. कई जगहों पर गीत-संगीत और भजन के साथ यह त्योहार मनाया जाता है.


क्या है मान्यता और कब से मनाई जाती है होली ?
गुरूजी पवन सिन्हा के मुताबिक, होली ऋग्वेद के समय से मनाई जा रही है. होली पर घर के अनाज की यज्ञ में आहूति दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यज्ञ में डाला हुआ अनाज भगवान तक पहुंचता है. भगवान का धन्यवाद करने के लिए होलिका दहन किया जाता है.


होली पर रंग लगाने की परंपरा कब शुरू हुई-
गुरूजी के मुताबिक, द्वापर युग में होली पर रंग लगाने की परंपरा शुरू हुई. पहले टेसू के फूल का रंग, कुमकुम का उपयोग किया जाता था. कई सालों पहले रंगों के उपयोग के प्रमाण मिलते हैं. मुगल काल में होली को ईद-ए-गुलाबी कहा जाता था. प्रमाण के मुताबिक, मुगल बादशाहों ने भी होली खेली थी. प्राचीन काल में यज्ञ के बाद गाने गाए जाते थे.


होली के बारे में जानिए कुछ और दिलचस्प जानकारियां-
होली के दिन गाए जाने वाले फाग के गीत कई सालों से चले आ रहे हैं.


मालवा के भगोरिया जिले में अनोखी परंपरा है. भगोरिया परंपरा में लड़का-लड़की एक-साथ भाग जाते हैं. गांव वालों को उन लड़के-लड़कियों को ढूंढना होता है. गांव के लोग अगर लड़के-लड़कियों को नहीं ढूंढ पाते तो उनकी शादी हो जाती है. गुलाबी गुलाल लगाकर भी पार्टनर चुनने की परंपरा है.