Battle Of Walong: 1962 युद्ध में शहीद हुए जवानों को किया गया याद, भारतीय सेना ने मनाई डायमंड जुबली
साठ साल पहले 1962 में चीन-भारत के बीच के बीच वालोंग में लड़ाई हुई थी. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में चीनी आक्रमण के खिलाफ भारतीय सेना के तरफ से बहादुरी, हिम्मत और बलिदान का एक शानदार उदाहरण थी.
तेजपुर स्थित रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस वालिया ने कहा कि पूर्व सैनिकों, उनके करीबी लोगों और युद्ध में मदद करने वाले स्थानीय लोगों को भी सम्मानित किया गया. युद्ध में भाग लेने वाली यूनिट के प्रतिनिधि भी समारोह के दौरान उपस्थित थे और उन्हें सम्मानित किया गया.
बलिदान का उदाहरण है
पूर्वी सेना कमांडर के तरफ से विभिन्न एडवेंचर ट्रेक, साइकिल रैली और मोटरसाइकिल अभियान को झंडी दिखाकर रवाना किया गया. ये लड़ाई पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में चीनी आक्रमण के खिलाफ भारतीय सेना के तरफ से बहादुरी, हिम्मत और बलिदान का एक शानदार उदाहरण थी. साठ साल पहले 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने वालोंग की लड़ाई में चीनियों को नाक में दम कर दिया था. भारतीय सेना के बहादुरों ने 27 दिनों तक पीएलए के आगे बढ़ते सैनिकों को रोके रखा, जिससे उन्हें तवांग सेक्टर से वालेंग तक अपने रिजर्व डिवीजन को हाटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
दुश्मन देश की संख्या ज्यादा होने के बावजूद, कम गोला-बारूद और संसाधनों के बिना, देश के बहादुर सैनिक आखिरी दौर तक लड़े. वीरता और बलिदान की ये गाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा की गाथा के रूप में काम करेगी. महीने भर चलने वाले इस समारोह की शुरुआत इस साल 17 अक्टूबर को हुई थी और इसका उद्घाटन वालेंग में स्पीयर कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल आर सी तिवारी ने किया था.
1962 में शुरू हुई घटनाओं के साथ समारोह के आयोजन को जोड़ा गया और अरुणाचल प्रदेश और ऊपरी असम में बड़ी संख्या में तरह-तरह की गतिविधियों को शामिल किया गया जिसमें ऐतिहासिक और एडवेंचर ट्रेक, रोइंग से वालोंग तक साइकिल रैली, नो योर आर्मी और उपकरण प्रदर्शन, प्रेरक व्याख्यान और पेंटिंग शामिल थे.
बैटल ऑफ वालेंग की पढ़ाई
तेजपुर से वालेंग तक एक मेगा मोटरसाइकिल अभियान चलाया गया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश में 1962 के प्रमुख युद्ध क्षेत्र से मिट्टी एकत्र की गई और इसे वालोंग युद्ध स्मारक में स्थापित किया गया. लेफ्टिनेंट कर्नल वालिया ने कहा कि भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान की गाथा को अमर बनाने के लिए, देश के प्रीमियम सैन्य प्रतिष्ठानों और कई नागरिक संस्थानों में बैटल ऑफ वालेंग के बारे में बताया जा रहा है.
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