नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए. गलवान नदी के क्षेत्र का बेहद दर्दनाक इतिहास है. लद्दाख में एलएसी पर स्थित गलवान इलाके को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है. चीन के अतिक्रमण को रोकने के लिए भारतीय सैनिक गलवान नदी में भी नाव के जरिए नियमित गश्त करते हैं. 1962 भारत-चीन के बीच हुए भयानक युद्ध की नींव यही इलाका माना जाता है. तब गलवान के आर्मी पोस्ट में 33 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और कई दर्जनों को बंदी बना लिया गया था. इसके बाद से चीन ने अक्साई-चिन पर अपने दावों वाले पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. यहीं से भारत-चीन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई.


भारत-चीन युद्ध 20 अक्टूबर 1962 को शुरू हुआ. ये युद्ध एक महीने तक चला, जिसमें 10 से 20 हजार भारतीय सैनिक और 80 हजार चीनी सैनिक शामिल हुए. 21 नवंबर 1962 को चीन ने युद्ध-विराम घोषित किया, तब युद्ध खत्म हुआ.


भारत को मिली कारारी हार
ये बात सही है कि 1962 के युद्ध में भारत को चीन के हाथों एक करारी हार का सामना करना पड़ा था. उस युद्ध में भारत के करीब 1300 सैनिक मारे गए थे और एक हजार सैनिक घायल हो गए थे. युद्ध के बाद करीब डेढ़ हजार सैनिक लापता हो गए थे और करीब चार हजार सैनिक बंदी बना लिए गए थे. वहीं चीन के करीब 700 सैनिक मारे गए थे और डेढ़ हजार से ज्यादा घायल हुए थे. चीन की सेना ने अरुणचाल प्रदेश को भारत से लगभग छीन लिया था और चीनी सेना असम के तेजपुर तक पहुंचने वाली थी. दूसरी तरफ लद्दाख के अक्साई-चिन इलाके पर भी चीन ने कब्जा कर लिया था. बाद में चीन ने अपनी सेना को अरुणचाल प्रदेश से हटा लिया था और युद्धविराम की घोषणा कर दी थी.


जिस वक्त 62 का युद्ध चल रहा था उस वक्त दुनिया की दो महाशक्तिशाली देश, अमेरिका और रुस क्यूबा-मिसाइल विवाद में फंसे हुए थे. भारत का घनिष्ठ दोस्त, रुस 62 के युद्ध में भारत का साथ देकर चीन को नाराज नहीं करना चाहता था. अगर ऐसा होता तो रुस यानि उस वक्त के यूएसएसआर को अमेरिका और चीन दोनों से निपटना पड़ता. यही वजह है कि इस युद्ध में भारत अलग-थलग पड़ गया था.


भारत के पास आज दुनिया के बेहतरीन हथियार, टैंक, तोप और मिसाइल प्रणाली है. भारत आज परमाणु शक्ति है. थल, जल और आकाश तीनों से परमाणु हथियार चलाने की क्षमता अगर दुनिया के चुनिंदा देशों के पास है, तो भारत भी उस चुनिंदा श्रेणी में शुमार है. कोई भी देश भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने से पहले हजार बार सोचेगा.


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