नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लेकर भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत आज होगी. मीटिंग सुबह 9.30 बजे चुशूल (भारत की तरफ) में शुरू होगी. इससे पहले सातवें दौर की सैन्य वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी जिसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने को लेकर कोई नतीजा नहीं निकला था.


दोनों पक्षों के बीच इस साल मई में गतिरोध के हालात बने थे. काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में सर्दियों के दौरान तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है.


लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन करेंगे अगुवाई
आठवें दौर की सैन्य वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन करेंगे जो हाल ही में लेह की 14वीं कोर के कमांडर नियुक्त किए गए हैं. पिछले दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाओं की ओर से जारी किए गए ज्वाइंट प्रेस स्टेटमेंट में कहा गया था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से संवाद कायम रखने पर सहमत हुए हैं ताकि गतिरोध को खत्म करने के लिए जल्द से जल्द कोई साक्षा स्वीकार्य समाधान निकाला जा सके.


सैन्य वार्ता के छठे चरण की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने कुछ फैसलों की घोषणा की थी. इसके तहत अग्रिम मोर्चे पर और सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा तरीके से जमीनी हालात बदलने से परहेज करने और हालात को जटिल बनाने वाली किसी भी कार्रवाई से परहेज की बात कही गयी थी.


अहम पहाड़ियों पर भारत ने कर रखा है कब्जा
30 अगस्त को, भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित महत्वपूर्ण पहाड़ी ऊंचाइयों- रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबोप पर कब्जा कर लिया था, जो तब तक मानव रहित थे. भारत ने ब्लैकटॉप के पास कुछ फोर्स की तैनाती भी की है. अब, इन चोटियों पर कब्जे से भारत, चीनी नियंत्रण वाले स्पंगुर दर्रे और मोल्डो गैरिसन पर नजर रख सकता है. भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बना हुआ है. कई स्तरों की बातचीत के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है.


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