नई दिल्ली: वास्तविक निययंत्रण रेखा पर भारत-चीन सीमा तनाव के बीच आज एक बार फिर दोनों देशों के नेता WMCC की बैठक की मेज पर मिलेंगे. LAC पर 15 जून को हुए गलवान घाटी संघर्ष के बाद सीमा तनाव घटाने की कवायद में यह लगातार चौथी बैठक होगी. हालांकि अभी तक चीन ने न तो सैन्य जमावड़ा कम करने को लेकर 5 जुलाई की विशेष प्रतिनिधि स्तर वार्ता में बनी रजामंदी को ज़मीन पर उतारा है और न ही LAC पर अप्रैल 2020 की स्थिति तक आपने सैनिकों को लौटाया है. दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य कमांडर स्तर बातचीत भी हो चुकी है.


महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के विदेश मंत्रालय अधिकारियों के बीच साझा सीमा तंत्र की पिछली बैठक 24 जुलाई 2020 कोई हुई थी. वहीं 2 अगस्त को सैन्य अधिकारी स्तर की बातचीत भी हुई थी. हालांकि इन कवायदों के बावजूद एलएसी पर गतिरोध के कांटे अब भी बरकरार हैं. सीमा मामलों पर बने इस संवाद और संयोजन तंत्र में भारतीय विदेश, रक्षा समेत अन्य कुछ मंत्रालय के अधिकारी होते हैं. विदेश मंत्रालय ने 24 जुलाई को सीमा कार्यतंत्र की बैठक के बाद जारी बयान में कहा था कि दोनों पक्ष जल्द ही वरिष्ठ कमांडरों की बैठक बुलाने पर सहमत थे जिसमें आगे के उपाय तय किए जाएंगे. ताकि सीमा पर तनाव कम करने और सैनिक जमावड़ा घटाने के लिए साथ ही शांति बहाली जल्द सुनिश्चित की जा सकें.


सरकारी सूत्र बताते हैं कि चीन की तरफ से सैन्य जमावड़ा कम करने में सुस्ती को लेकर भारत ने बीते करीब एक महीने के दौरान बीजिंग में भी अपने सम्पर्क और संवाद में आपत्ति दर्ज कराई थी. क्योंकि पैंगोग, देपसांग समेत कई इलाकों में चीनी सैनिक अब आपसी सहमति से तय हुई हद तक पीछे नहीं हटे हैं. ऐसे में भारतीय सेना भी अपने मोर्चों पर डटी है.


एलएसी का ताजा तनाव अब तक का सबसे लंबा सैन्य तनाव


इस बीच चीन ज़रूर यह दिखाने में जुटा है कि उसने दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर पर बनी सहमति को लागू कर दिया है. जबकि भारतीय खेमा चीनी सेना की अब तक की कार्रवाई को लेकर असंतुष्ट है. जानकारों के मुताबिक भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब 100 दिन से जारी तनाव मौजूदा सूरत-ए-हाल में अगर अगले दो महीने और चल जाए तो अचरज नहीं होगा. गौरतलब है कि एलएसी का ताजा तनाव दोनों देशों के बीच हाल के दशकों में अब तक का सबसे लंबा सैन्य तनाव साबित हो रहा है.


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