नई दिल्ली: नौ महीने के टकराव के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने एक साथ पीछे हटना शुरू कर दिया है. इसको लेकर चीन के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर जानकारी दी है कि पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर और दक्षिण से दोनों देशों की सेनाओं ने 'डिसइंगेजमेंट' शुरू कर दिया है. भारत की तरफ से हालांकि कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों ने इस बात की पुष्टि जरूर की है.


बुधवार को चीन के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, 'भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की बैठक के बाद जो सहमति बनी थी, उसके आधार पर दोनों देशों के फ्रंटलाइन सैनिकों ने पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर और दक्षिण से सिंक्रोनाइज-डिसइंगेजमेंट शुरू हो गया है.' 24 जनवरी को दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी.


भारत की ओर से बयान नहीं


वहीं भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया गया लेकिन सूत्रों ने डिसइंगेजमेंट की पुष्टि की है. सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन के कोर कमाडंर्स के बीच नौवें दौर की जो बैठक हुई थी, उसमें इस बात पर दोनों देश डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए थे. उसी के आधार पर दोनों देशों की सेनाओं ने 10 फरवरी से डिसइंगेजमेंट शुरू कर दिया है.


इसके तहत सबसे पहले दोनों देशों की सेनाओं के आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड फोर्स यानि टैंक और आईसीवी व्हीकल्स पीछे हट जाएंगे. लेकिन सूत्रों ने साफ कहा कि फ्रंटलाइन सैनिक अभी पीछे नहीं हटेंगे. पहले टैंक, आईसीवी और दूसरी हेवी मशीनरी पीछे हटेगी. बता दें कि पैंगोंग-त्सो झील के दक्षिण में कैलाश रेंज की मुखपरी, मगर हिल, गुरंग हिल और रेचिन ला दर्रे पर दोनों देशों की सेनाएं आई बॉल टू आई बॉल है और बड़ी तादाद में दोनों ही सेनाओं के टैंक, आईसीवी व्हीकल्स इत्यादि तैनात हैं.


संसद सत्र


पैंगोंग-त्सो झील के उत्तर में फिंगर एरिया को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है. लेकिन पिछली कई मीटिंग में इस बात को लेकर चर्चा जरूर हुई थी कि चीनी सेना फिंगर 4 से फिंगर 8 पर चली जाए और फिर इस ग्रे-जोन बना दिया, यानि दोनों देशों के सैनिक यहां पैट्रोलिंग नहीं करेंगे. जानकारी के मुताबिक संसद का सत्र चल रहा है, इसलिए सेना की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री इसकों लेकर गुरुवार को संसद में बयान दे सकते हैं, हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है.


जानकारी के मुताबिक पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर में फिंगर एरिया में डिसइंगेजमेंट के दौरान पहले दोनों देशों के सैनिकों की तादाद कम की जाएगी और फिर धीरे-धीरे कर सैनिक पीछे हटेंगे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक भारत इस डिसइंगेजमेंट के दौरान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है क्योंकि पिछले नौ महीनों के दौरान पहले भी चीनी सेना डिसइंगेजमेंट की बात कह चुकी है लेकिन फिर वापस लौट आती है. गलवान घाटी में हुई हिंसा भी डिसइंगेजमेंट के दौरान सामने आई थी.


यह भी पढ़ें:
भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने व्यक्त की चिंता, कहा- शांतिपूर्ण तरीके से निकले समाधान