India-China Clash: भारत और चीन की सेनाओं की बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प के बीच चाइना से व्यापार करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इसको लेकर केंद्र सरकार ने संसद में जवाब दिया है.
चीन से व्यापार करने को लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया है. मिनिस्ट्री ने बताया, ''चीन से अमूमन Capital Goods, Intermediate Goods और Raw Material का आयात होता है.'' मंत्रालय ने साथ ही बताया कि कम्प्यूटर हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और टेलीफोन के सामानों के आयात में हुई बढ़ोतरी का कारण भारत में डिजिटल क्रांति और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में हो रहा स्थानांतरण है.
विपक्ष क्या कह रहा है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया कि गलवान घाटी में संघर्ष के बाद चाइना से इंपोर्ट 45 फीसदी बढ़ा है. चीन ने पीएम केयर्स फंड में भी पैसे दिए. करीब 3,560 भारतीय कंपनियों में चीनी डायरेक्टर है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, ''हम चीन से अपना व्यापार क्यों नहीं बंद करते? चीन से आयात की जाने वाली अधिकतर वस्तुएं भारत में बनती हैं. इससे चीन को सबक़ मिलेगा और भारत में रोजगार.'' वहीं वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि साल 2021-22 में चीन के साथ व्यापार घाटा 73.31 बिलियन डॉलर रहा था जबकि 2020-21 में 44.03 बिलियन डॉलर रहा था.
मामला क्या है?
भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों की आपस में झड़प हुई थी जिसमें दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आई थीं.
इस पूरे मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (13 दिसंबर) को कहा कि यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की गई, लेकिन भारतीय सेना ने दृढ़ता से कार्रवाई कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने आगे बताया कि झड़प में किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि इसमें दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आई हैं.
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