नई दिल्ली: थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने लेह-लद्दाख के अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन उसी पूर्वी लद्दाख के फॉरवर्ड एरिया यानी अग्रिम इलाकों का दौरा किया जहां, फिलहाल चीन से सबसे ज्यादा तनाव बना हुआ है. इस दौरान असाधारण कर्तव्य और समर्पण के लिए वहां तैनात सैनिकों को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया. इन सैनिकों में गलवान के योद्धा भी शामिल हैं, जिन्होनें 15 जून की रात को चीनी सेना के दांत खट्टे किए थे.


सेना मुख्यालय ने ये तो नहीं बताया कि पूर्वी लद्दाख के किन फॉरवर्ड एरिया का जनरल नरवणे ने दौरा किया, लेकिन इस दौरान अलग अलग यूनिट्स और फॉरमेशेन के सैनिकों को उनके असधारण कर्तव्य के लिए सम्मानित किया गया. उनके साथ उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी और लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, ले. जनरल हरिंदर सिंह भी थे.


इससे पहले मंगलवार को सेना प्रमुख ने लेह पहुंचकर गलवान घाटी की हिंसा में घायल हुए सैनिकों से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना और हौसला अफजाई की. आपको बता दें कि 15/16 जून की रात को गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे और 76 सैनिक घायल हो गए थे. इनमें से 18 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे. लेकिन अब सभी सैनिकों की हालत स्थिर है.



अपने लेह-लद्दाख दौरे के दौरान सेना प्रमुख ने लेह स्थित 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह से सोमवार को चीन के सैन्य कमांडर से हुई 11 घंटे की बातचीत का पूरा ब्यौरा लिया. इस दौरान त्रिशूल डिवीजन के कमांडर, मेजर जनरल अभिजीत बापट ने सेना प्रमुख को चीनी सेना की एडवांस मूवमेंट और अपनी सैनिकों की ऑपरेशन्ल तैयारियों पर विस्तृत जानकारी दी. जनरल नरवणे ने चीनी सेना के साथ हो रही डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के बारे में भी पूरी जानकारी ली.

सेना प्रमुख के लेह लद्दाक के दौरे पर उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक, थल सेनाध्यक्ष ने सभी कमांडर्स को आदेश दिया कि चीनी सेना की हर हरकत पर कड़ी नजर रखे और किसी भी तरह की घुसपैठ और मूवमेंट को अपनी सीमा में कतई बर्दाश्त ना करें.


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