गलवान घाटी में चीन ने सुनियोजित तरीके से किया था भारतीय सैनिकों पर हमला, अमेरिकी रिपोर्ट में खुलासा
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने हमले से पहले एक हजार सैनिकों को गलवान घाटी में तैनात किया था. भारत और चीन के सीमा-विवाद को अमेरिका की इस रिपोर्ट में दशक का सबसे बड़ा संकट बताया गया है.
नई दिल्ली: क्या वाकई गलवान घाटी में चीन ने एक सुनियोजित तरीके से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था. इस बात का खुलासा अमेरिका की एक रिपोर्ट में किया गया है. यूएस-चीन इकोनोमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में हुई लड़ाई से पहले ही अपने एक हजार सैनिकों को तैनात कर दिया था. रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत और चीन के बीच विवाद को दशक का सबसे बड़ा सीमा-विवाद बताया है.
अमेरिका के ‘यूएस-चीन इकोनोमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन’ ने अपनी इस रिपोर्ट को अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में पेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सबूत इस तरफ इशारा करते हैं कि गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष को चीन की सरकार ने ‘प्लानिंग’ के तहत अंजाम दिया था, ताकि इसमें सैनिकों को हताहत किया जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान घाटी में हुए संघर्ष से एक हफ्ते पहले सैटेलाइट-तस्वीरों से इस बात का खुलासा हुआ था कि चीन ने करीब 1000 पीएलए सैनिकों को यहां तैनात किया था. रिपोर्ट में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प से कुछ हफ्ते पहले चीन के रक्षा मंत्री वे फंगई के उस बयान को भी उल्लेखित किया गया है, जिसमें उन्होनें कहा था कि बीजिंग (चीन) के लिए ‘स्थिरता के लिए लड़ना’ जरूरी है.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान घाटी में हुए झड़प से ठीक दो हफ्ते पहले चीन के सरकारी मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स में एक संपादकीय-लेख में साफ तौर से चेतावनी देते हुए कहा गया था कि अगर अमेरिका और चीन के ट्रेड-वॉर में भारत ने दखलंदाजी कि तो उसे (भारत) चीन के साथ आर्थिक और व्यापार क्षेत्र में ‘मुंह की खानी पड़ेगी.’
आपको बता दें कि पिछले सात महीनों से भारत और चीन के बीच एलएसी पर विवाद चल रहा है. पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दोनों देशों ने 50-50 हजार सैनिक, टैंक, तोप और मिसाइलों को तैनात कर रखा है.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद कई दशकों से है, लेकिन जब से शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता संभाली है (यानि वर्ष 2012 से) तब से दोनों देशों के बीच एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पांच बड़ी झड़प हो चुकी हैं - दौलत बेग ओल्डी और चुमार (2013), डेमोचोक (2014), डोकलम (2017) और मौजूदा भारत-चीन सीमा विवाद (2020).
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा एलएसी विवाद के पीछे चीन की सरकार का क्या मकसद है, ये साफ नहीं है, लेकिन इसका कारण भारत द्वारा सैनिकों के लिए एक सामरिक महत्व की सड़क बनाना लगता है - डीएसडीबीओ रोड (दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क), जबकि चीन वर्षों से सीमा से सटे अपने इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने में लगा है.
रिपोर्ट में ये तक कहा गया है कि अगर गलवान घाटी में हुई झड़प से चीन का उद्देश्य इलाका हड़पना था तो उसे चीनी सरकार अपनी सफलता मान सकती है, लेकिन अगर चीन को ऐसा लगता है कि इससे (खूनी संघर्ष से) भारत को एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने से रोक सकता है या फिर भारत को अमेरिका से गठजोड़ करने से रोक सकता है तो फिर चीन का दांव खाली चला गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के महीने से चीन एलएसी पर अपने सैनिकों की तैनाती लगातार बढ़ा रहा है, जिससे तनाव लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग-त्सो झील इलाके में 1975 के बाद पहली बार फायरिंग की घटनाओं का जिक्र भी किया गया है जो 1996 में दोनों देशों के बीच हुए करार का उल्लंघन है. रिपोर्ट में एलएसी पर लैंड माइन ब्लास्ट में वीरगति को प्राप्त हुए तिब्बती मूल के स्पेशल फोर्स कमांडो का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पहली बार भारत सरकार ने अप्रत्याशित तरीके से कमांडो की अंतिम-यात्रा का ना केवल प्रचार-प्रसार किया, बल्कि अपने एक नुमाइंदे (राम माधव) को भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भेजा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 सितंबर को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मास्को में एससीओ सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी और तनाव कम करने के लिए सहमति बनी थी और चीन ने भारत के बंदी बनाए पांच नागरिकों को रिहा कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद चीन ने तिब्बत में वॉर-गेम्स (युद्धभ्यास) का आयोजन किया है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि गलवान संघर्ष के बाद चीन अब पूरी गलवान घाटी पर अपना अधिकार जमाने का दावा कर रहा है, जो पूरी तरह से बिल्कुल नया दावा है. साथ ही चीन काफी ज्यादा 'टेरिटोरियल स्टेट्स-क्यो' बदलना चाहता है.
इस बीच बुधवार को बांग्लादेश के नेशनल डिफेंस कोर्स के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारतीय सेना के वाइस चीफ (सहसेनाध्याक्ष), लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने चीन का बिना नाम लेते हुए कहा कि जब सभी देश कोविड वायरस से लड़ रहे थे तब कुछ देश ऐसे समय में भी सैन्य, आर्थिक और राजनैतिक तौर से अपना प्रभुत्व जमाने में जुटे हुए थे, जो वैश्विक-समुदाय के लिए सही नहीं है.
वाइस चीफ खुद बांग्लादेश के नेशनल डिफेंस कोर्स में भाग ले चुके हैं. उन्होनें इस सम्मलेन को वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए संबोधित किया है. सहसेनाध्यक्ष ने बांग्लादेश के इस सम्मेलन को उस दिन संबोधित किया जब भारत ’71 के युद्ध का स्वर्णिम-विजय वर्ष मना रहा है. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को पराजित किया था, जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
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