नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कठोर शब्दों में कहा कि वायुसेना ने जिस तरह से एलएसी के फॉरवर्ड लोकेशन पर अपने फाइटर जेट्स इत्यादि तैनात किए हैं, उससे दुश्मन (चीन) को कड़ा संदेश मिला है. रक्षा मंत्री ने साफ तौर से कहा कि भले ही चीन से एलएसी पर डि-एस्केलेशन पर बातचीत चल रही हो, लेकिन वायुसेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज राजधानी दिल्ली में वायुसेना के तीन दिवसीय कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस सम्मेलन का थीम है 'अगले दशक में भारतीय वायुसेना'. इस दौरान वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया समेत एयरफोर्स की सभी सातों कमांड के कमांडिंग इन चीफ और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे.


सम्मलेन का उदघाटन करते हुए राजनाथ सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि बालाकोट एयर-स्ट्राइक हो या फिर हाल ही में पूर्वी-लद्दाख में उत्पन्न हुए हालात के बाद जिस तरह से वायुसेना ने फॉरवर्ड लोकेशन (एयरबेस) पर अपनी तैनाती की उससे दुश्मनों (चीन और पाकिस्तान) को कड़ा संदेश गया है. लेकिन रक्षा मंत्री ने सभी कमांडर्स को स्पष्ट किया कि भले ही चीन से 'डि-एसक्लेशन' पर बातचीत चल रही हो, लेकिन वायुसेना को किसी भी विपरीत परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार रहना होगा.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा राष्ट्र अपनी संप्रुभता के लिए कटिबद्ध है, क्योंकि देशवासियों को अपने देश की सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की ताकत पर पूरा विश्वास है.


आपको बता दें कि मई के महीने के शुरूआत में जब चीन से पूर्वी लद्दाख में तनाव शुरू हुआ था, उसके तुरंत बाद ही भारतीय वायुसेना ने अपने सुखोई, मिग29 और मिराज फाइटर जेट्स‌ सहित अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स को फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात कर दिया था और चीन से सटी एलएसी पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग शुरू कर दी थी. खबर ये भी है कि पूर्वी लद्दाख में वायुसेना की मदद के लिए नौसेना के टोही विमान, पी8आई और मिग-29'के' फाइटर जेट्स को भी तैनात किया गया है.


पिछले ढाई महीने से एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल) पर चीन से तनातनी तल रही है. तनाव कम करने के लिए बातचीत की पहला दौर तो सफल रहा, लेकिन डिसइंगेजमेंट के दूसरे चरण में चीन के अड़ियल रवैये के कारण बातचीत में बाधा आ गई है. पैंगोंग त्सो लेक से सटे फिंगर नंबर 4 की रिज लाइन से चीनी सैनिक पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. यही वजह है कि रक्षा मंत्री ने वायुसेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है. हाल ही में अपने लद्दाख दौरे के दौरान भी रक्षा मंत्री ने सैनिकों को संबोधित करते हुए दो टूक शब्दों में कहा था कि चीन से जो बातचीत चल रही है, उसकी कोई गारंटी नहीं है, कहां तक सफल हो‌.


इस मौके पर चीन के साथ ताजा विवाद पर बोलते हुए एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने कहा कि वायुसेना पूरी तरह से किसी भी तरह के छोटे युद्ध या फिर सामरिक खतरे का सामना करने के लिए तैयार तो है ही. साथ ही वायुसेना के सभी यूनिट्स दुश्मन के किसी भी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी तैयार हैं. भदौरिया ने वायुसेना की सभी कमांड्स की तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरह से सभी ने तुरंत तैनाती की और तैयार रहीं, वो काबिले-तारीफ है.


वायुसेना प्रमुख ने सभी कमांड्स को शॉर्ट-नोटिस पर किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा ताकि दुश्मन को करारा जवाब दिया जा सके.


तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन (22-24 जुलाई) में चीन-पाकिस्तान सीमा पर मौजूदा हालात, रफाल लड़ाकू विमानों की जल्द सीमा पर तैनाती सहित अगले दस सालों में एयरफोर्स की ताकत को कैसे बढ़ाया जाए, ताकि आने वाले खतरों का सामना किया जा सके, उसपर चर्चा होगी. रक्षा सचिव, अजय कुमार भी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे.


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