चीन के खिलाफ ऑपरेशन में शहीद हुए SFF कमांडो का लेह में हुआ अंतिम संस्कार, शव-यात्रा में उमड़ी भीड़
पिछले चार महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच सीमा पर टकराव चल रहा है और गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष भी हो चुकी है.
नई दिल्ली: 29-30 अगस्त की रात को ब्लैक टॉप हिल पर हुए ऑपरेशन में वीरगति को प्राप्त हुए एसएफएफ के कमांडो, नियेमा तेनजिन के शव का आज सैन्य सामान के साथ लद्दाख की राजधानी, लेह में अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले पूरे शहर में उनकी शव यात्रा निकाली गई, जिसमें सैनिकों के साथ-साथ सैकड़ों की तादाद में तिब्बती शरणार्थियों ने हिस्सा लिया. नियेमा तेनजिन भी तिब्बत मूल के शरणार्थी थे.
आपको बता दें कि 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण इलाके की ब्लैक टॉप हिल पर ऑपरेशन के दौरान स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के कमांडो नेयिमा तेनजिन एक लैंडमाइन ब्लास्ट की चपेट में आ गए थे. इस ब्लास्ट में वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उनका एक साथी कमांडो तेनजिन लिंगडोह भी इस घटना में घायल हो गया था. लिंगहोड का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
पूरे एक हफ्ते बाद कमांडो नेयिमा तेनजिन का तिब्बती परंपरा के साथ सुबह छह बजे अंतिम यात्रा पूरे लेह शहर में निकाली गई. सबसे आगे सेना के ट्रक में सैन्य सामान के साथ उनका पार्थिव-शरीर रखा था और पीछे सैकड़ों की तादाद में तिब्बती और लद्दाखी युवक-युवतियां कार और मोटर-साईकिल पर थे. सभी के हाथों में तिरंगा और तिब्बती झंडे थे.
करीब पांच-छह किलोमीटर की यात्रा के बाद पार्थिव शरीर को श्मशान घाट लाया गया. यहां सेना की विकास रेजीमेंट के सैनिकों ने उन्हें अंतिम सलामी दी. एसएफएफ को सेना में विकास रेजीमेंट के नाम से जाना जाता है और उसमें अधिकतर सैनिक तिब्बत मूल के ही कमांडो होते हैं. अंतिम संस्कार के दौरान 'भारत माता की जय', 'जय तिब्बत देश', 'वीर शहीद को सलाम', 'विकास रेजीमेंट की जय' के नारों से गूंज उठा. पूरा श्मशान घाट भारतीय तिरंगे और तिब्बत के झंडों से पटा पड़ा था. जगह जगह चीन के खिलाफ बैनर और पोस्टर लगे हुए थे. इस मौके पर नियेमा तेनजिन की गमगीन पत्नी और शोकाकुल परिवार भी मौजूद था.
कमांडो के पार्थिव शरीर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव, स्थानीय (लेह-लद्दाख से) बीजेपी सांसद, पुलिस अधिकारियों और तिब्बत धर्मगुरूओं नो श्रद्धांजलि अर्पित की. अंतिम संस्कार के बाद मीडिया से बात करते हुए राम माधव ने कहा कि वे शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने आए हैं और उम्मीद है कि उनकी शहादत से (चीन) सीमा पर शांति बहाल होगी और बातचीत के जरिए भारत-चीन के बीच विवाद सुलझ जाएगा.
पिछले चार महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच सीमा पर टकराव चल रहा है और गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष भी हो चुकी है. इसी कड़ी में 29-30 अगस्त की रात को भारतीय सेना को सूचना मिली थी कि चीनी सेना ब्लैक टॉप, हैलमेट टॉप और रेचिन-ला दर्रे पर रात के अंधेरे में घुसपैठ कर कब्जा करना चाहती है. लेकिन भारतीय सेना की एसएफएफ यूनिट ने इंफेंट्री यूनिट्स के साथ मिलकर इन सभी इलाकों को अपने अधिकार-क्षेत्र में लेकर चीन पर सामरिक बढ़त बना ली. इस ऑपरेशन के बाद से ही चीन तिलमिलाया हुआ है.
चीनी मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स में लेख लिखकर तिब्बतियों की फोर्स, एसएफएफ को चीन के खिलाफ इस्तेमाल को 'कैनन फोडर' यानि तोप का चारा (बलि का बकरा) बनाने का आरोप लगाया है.
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