India-China Border Dispute: जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से जुड़ा मुद्दा पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और चीन समेत अन्य देशों को इस पर बयान देकर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. भारत के इस रुख के बाद अब वांग यी के भारत दौरे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. 


इस्लामाबाद से सीधे काबुल पहुंचे वांग यी


भारत के इस कड़े रुख के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली आने की बजाए इस्लामाबाद से सीधे काबुल पहुंचे. वांग यी यहां से अब सीधे नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचेंगे.  पूर्व में राजनयिक सूत्रों से दी गई जानकारी के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री को पाकिस्तान में इस्लामिक देशों की बैठक के बाद सीधे भारत आना था और उनकी दो दिनी भारत यात्रा का प्रस्ताव था. नेपाल पहले ही 25 से 27 तक चीनी विदेश मंत्री की काठमांडू यात्रा का एलान कर चुका है.


वांग यी के भारत आने पर उत्साहित नहीं है भारत


केवल तस्वीरों की खातिर चीनी यात्रा के खिलाफ भारत ने कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई है. पर्दे के पीछे चली बातचीत में नई दिल्ली ने पहले ही अपना नज़रिया साफ कर दिया था. भारत सीमा तनाव सुलझाने के ठोस कदमों और समाधान का पक्षधर है. मगर सिर्फ औपचारिकता के लिए यात्रा-मुलाकात पर अधिक उत्साह नहीं है. हालांकि भारत ने चीनी विदेश मंत्री के यात्रा प्रस्ताव पर इनकार भी नहीं किया है.


सूत्रों के मुताबिक, यात्रा को लेकर गेंद चीन के पाले में है. वांग यी आए तो पूर्वी लद्दाख में बीते करीब डेढ़ साल से जारी सीमा तनाव सुलझाने की बात पर जोर होगा. चीनी विदेश मंत्री अगर भारत यात्रा पर आते हैं तो उन्हें नेपाल यात्रा का कार्यक्रम बदलना पड़ेगा. हालांकि सामान्य परंपरा के विपरीत विदेश मंत्री वांग यी के दक्षिण एशिया दौरे और प्रस्तवित भारत यात्रा पर न तो चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बार कोई कार्यक्रम प्रसारित किया गया है और ना ही भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक रिलीज़ जारी की गई.


सीमा विवाद सुलझाने के लिए हो चुकी हैं 15 दौर की वार्ता


भारत और चीन के बीच जारी सीमा तनाव को सुलझाने के लिए अब तक सैन्य कमांडर स्तर पर 15 दौर की वार्ता हो चुकी हैं, लेकिन पूर्वी लद्दाख में डेपसांग समेत अन्य इलाकों में तनाव घटाने, मामले को सुलझाने और सैनिक जमावड़ा कम करने का कोई फार्मूला नहीं निकल पाया है. मार्च 12 को दोनों देशों के बीच चुशूल-मोलडो बॉर्डर पॉइंट पर 15वें दौर की बातचीत हुई थी.


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