नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार को चीन के साथ हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए हैं. 45 साल में ऐसा पहला मामला है जब भारत-चीन की झड़प में किसी सैनिका का खून बहा हो. चीन की सरकारी मीडिया ने चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी क्षेत्र पर उसकी ‘हमेशा’ संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने ‘जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए’, जिस कारण ‘गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए.’
चीन ने क्या आरोप लगाए हैं?
चीन ने आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने 15 जून को दो बार अवैध गतिविधियों के लिए सीमा रेखा लांघी और चीन के कर्मियों को उकसाया और उन पर हमले किए जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच गंभीर मारपीट हुई. साथ ही उसने भारतीय सेना के इस बयान का विरोध किया कि गलवान घाटी में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई.
भारतीय सैनिकों अवैध गतिविधियों के लिए दो बार सीमा रेखा लांघी- चीन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिनजियान ने सीमा पर भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर के बारे में पूछे जाने पर बीजिंग में कहा कि आप जो सूचना दे रहे हैं उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है. झाओ ने कहा कि हमारे सैनिकों की उच्चस्तरीय बैठक हुई थी और सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के बारे में महत्वपूर्ण सहमति बनी थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 15 जून को भारतीय सैनिकों ने हमारी सहमति का गंभीर रूप से उल्लंघन किया और अवैध गतिविधियों के लिए दो बार सीमा रेखा लांघी.
प्रवक्ता ने कहा कि हम एक बार फिर भारतीय पक्ष से कहते हैं कि सहमति का पालन करें. भारत अपनी सेना को कंट्रोल में रखें. अग्रिम मोर्चे के अपने सैनिकों पर कड़ाई से नियंत्रण करें और रेखा नहीं लांघें, समस्या पैदा नहीं करें या एकतरफा कदम नहीं उठाएं, जिससे मामला जटिल बन जाए. झाओ ने कहा कि दोनों पक्ष वार्ता और विचार-विमर्श के माध्यम से मुद्दे के समाधान, स्थिति को सामान्य बनाने के प्रयास पर सहमत हुए और सीमावर्ती क्षेत्र मे शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने पर रजामंदी दी.
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