(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चीन से तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- मुझे पूरा यकीन है कूटनीतिक दायरे में समाधान निकलेगा
अपने पुस्तक विमोचन के मौके पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के लिए समझौते पर पहुंचाना जरूरी है. ये दुनिया के लिए भी मायने रखता है.
नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि वह ‘‘पूरी तरह से सहमत’’ हैं कि विवाद का समाधान कूटनीतिक दायरे में निकालना होगा. उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि सीमा पर जो होता है, उससे भारत-चीन रिश्तों पर असर पड़ेगा.
विदेश मंत्री ने कहा, “अगर आप एक बहुध्रुवीय दुनिया को देख रहे हैं और कल्पना करते हैं कि बहुत से मुद्दों पर लोगों के साथ आपकी समझ है...तो हमारे पास अलग-अलग संयोजन होंगे. एससीओ, क्वाड, आरआईसी में होने के लिए यह वह दुनिया है जिसे हमें समझने की आवश्यकता है.”
विदेश मंत्री ने अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुझे यह भी जानकारी है कि आपके पास वहीं स्थिति है जो हमारे पास पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख के पार) के सीमा क्षेत्रों में है. क्योंकि हमारा लंबे समय से दृष्टिकोण रहा हैं, वहां हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है- हमारी चीन के साथ सहमति और समझ हैं. दोनों पक्षों द्वारा किए गए समझौतों और समझ को बारीकी से देखा जाना चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि सीमा पर जो होता है वह संबंध को प्रभावित करेगा, आप इसे अलग नहीं कर सकते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ दिनों पहले एक अन्य संदर्भ में यह बात कही थी, मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि स्थिति का समाधान कूटनीति के दायरे में ढूंढना होगा और मैं यह जिम्मेदारी के साथ कहता हूं.’’
जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध के लिए यह आसान समय नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्होंने 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़पों से पहले पुस्तक ‘द इंडिया वे:स्ट्रैटेजिस फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ लिखी थी. गौरतलब है कि गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़पों में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गये थे.
उधर गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले चार महीने में सीमा पर पैदा हुए हालात इस क्षेत्र में एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की चीनी कार्रवाई का प्रत्यक्ष परिणाम है. इसके साथ ही भारत ने जोर दिया कि मुद्दों के समाधान का एकमात्र रास्ता बातचीत है.
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