नई दिल्ली: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर दोनों पक्षों के बीच ताजा टकराव से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए एक और दौर की सैन्य वार्ता की.


वहीं नई दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई. इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख नरवने समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. बैठक सिचुएशन रूम में हुई. ऐसे में यह बैठक और अहम हो जाता है.


लद्दाख में बैठक
सूत्रों ने कहा कि ब्रिगेड कमांडर-स्तरीय वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय क्षेत्र में चुशूल में सुबह 10 बजे शुरू हुयी. बैठक का एजेंडा पैंगोंग झील के आसपास की स्थिति पर चर्चा है.


भारतीय सेना ने सोमवार को कहा था कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पूर्वी लद्दाख में उकसावे की कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिण में एकतरफा तरीके से यथास्थिति बदलने की कोशिश की. लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसे नाकाम कर दिया.


सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने सोमवार को करीब छह घंटे तक बातचीत की, लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा कि कि क्षेत्र पर कब्जा करने के प्रयास के तहत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की ओर बढ़ रहे थे. करीब साढ़े तीन महीने से चल रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है.


सेना ने जवानों की संख्या बढ़ाई
उन्होंने कहा कि इससे पहले दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर टकराव था, लेकिन यह पहला मौका है जब इस तरह की घटना दक्षिणी तट पर हुई. चीन की कोशिश के बाद भारतीय सेना ने झील के आसपास कई सामरिक स्थानों पर अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है. इसके अलावा क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति को और अधिक बढ़ा दिया है.


क्षेत्र में विशेष सीमा बल की एक बटालियन भी तैनात की गई थी. समझा जाता है कि थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने सेना मुख्यालय में एक उच्च-स्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख की समग्र स्थिति की समीक्षा की.


चीन की सैन्य गतिविधी और भारत की तैयारी
सूत्रों ने कहा कि वायु सेना को पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों की निगरानी बढ़ाने के लिए भी कहा गया है. ऐसी खबरें हैं कि चीन ने होतन एयरबेस में लंबी दूरी की क्षमता वाले जे-20 युद्धक विमान और अन्य साजोसामान तैनात किए हैं. यह बेस पूर्वी लद्दाख से करीब 310 किलोमीटर दूर है.


भारतीय वायुसेना ने पिछले तीन महीनों में अपने सभी महत्वपूर्ण युद्धक विमानों जैसे सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख में प्रमुख सीमावर्ती हवाई ठिकानों और एलएसी के पास तैनात किए हैं.


गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद यह पहली बड़ी घटना है. गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे. इस झड़प में चीन के सैनिक भी मारे गए, लेकिन उसने इस संबंध में अब तक जानकारी साझा नहीं की है. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे.


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