India-China Clash: तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति बोले- चीन हिंदुस्तान को नहीं धमका सकता, यह 1962 वाला भारत नहीं
India-China Border Clash: भारत और चीन की सेनाओं के बीच तवांग में हुई झड़प को लेकर तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने कहा कि हिंदुस्तान को धमकाया नहीं जा सकता.
India-China Clash: भारत और चीन की सेनाओं के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प को लेकर तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग (Penpa Tsering) ने बयान दिया है. उन्होंने शनिवार (17 दिसंबर) को कहा कि भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रुख उसकी असुरक्षा की भावना का परिणाम है.
पेनपा सेरिंग जम्मू विश्वविद्यालय में पहुंचे थे. उन्होंने इस दौरान रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा, ''भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख से उसकी असुरक्षा की भावना जाहिर होती है. चीन का उद्देश्य भारत को रोकना है ताकि एशियाई क्षेत्र में उसके प्रभुत्व को चुनौती देने वाला कोई न हो.’’ उनसे 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी और नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़पों को लेकर सवाल किया गया था.
सोची समझी रणनीति
तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने कहा कि चीन की यह सोची समझी रणनीति है. इस तरह के कदमों से किसी को कोई फायदा नहीं होने वाला है. ऐसे कदमों के कारण चाइना को भारत के लोगों का विश्वास हासिल करने में कई साल लग जाएंगे. उन्होंने साथ ही कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने हमेशा हिंदुस्तान और चीन के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों का समर्थन किया है. चीन ऐसा करके 1962 के युद्ध के जख्मों को कुरेद रहा है.
President of Tibetan government-in-exile, Penpa Tsering, says China's aggression against India is outcome of its "feeling of insecurity" and aimed at establishing its hegemony in Asia
— Press Trust of India (@PTI_News) December 17, 2022
'1962 वाला भारत नहीं है'
राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने कहा, कि चीन यह सोचता है कि भारत 1962 की तरह कमजोर है, तो वह गलत है. हिंदुस्तान ने दशकों में काफी विकास किया है और उसे धमकाया नहीं जा सकता है. चीन की घुसपैठ से निपटने के लिए कांग्रेस की मोदी सरकार की आलोचना के सवाल पर उन्होंने कहा कि नेताओं के अलग-अलग विचार हो सकते हैं और विपक्ष का काम विरोध करना है.
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