Tawang Clash: चालबाज चीन नहीं आ रहा हरकतों से बाज, जानें कब-कब आंखों में झोंकी धूल और तोड़ा भारत का भरोसा
India China Conflict: यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत का भरोसा तोड़ा है. इससे पहले भी कई बार चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की और जांबाज भारतीय सैनिकों से उनका सामना हुआ.
India China Clash: भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास एक स्थान पर 9 दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए. भारतीय सेना ने सोमवार (12 दिसंबर) को यह जानकारी दी. भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, "पीएलए (चीन की सेना) के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता से सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आई हैं."
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत का भरोसा तोड़ा है. इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की है और उनका जांबाज भारतीय सैनिकों के साथ सामना हुआ है. 1962, 1967, 1975, 2020 और अब 2022 में एक बार फिर एलएसी पर भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक टकराव हुआ है.
1962 से शुरू हुआ सिलसिला
चलिए सबसे पहले बात 1962 की करते हैं. भारत और चीन के बीच अब तक का सबसे बड़ा हिंसक टकराव साल 1962 को ही हुआ है. 1962 के युद्ध में चीन को जीत मिली थी. कहा जाता है कि भारत इस युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और यही कारण है भारत को युद्ध में शिकस्त का सामना करना पड़ा.
1967 में चीन को दिया मुंहतोड़ जवाब
ठीक पांच साल बाद एक बार फिर चीन ने भारत को धोखा दिया. हालांकि, इस बार भारतीय सेना ने चीन को सबक सिखा दिया. साल 1967 में भारतीय सेना ने चीनी सेना के दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सैकड़ों चीनी सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया था, बल्कि उनके कई बंकरों को भी ध्वस्त कर दिया था. बता दें कि नाथु ला दर्रे की वो घटना आज भी चीन के लिए बड़ा सबक माना जाती है.
1967 में टकराव तब शुरू हुआ था जब भारत ने नाथु ला से सेबू ला तक तार लगाकर बॉर्डर को परिभाषित किया. यहीं से पुराना गैंगटोक-यातुंग-ल्हासा व्यापार मार्ग भी गुजरता है. 1965 में जब भारत ने पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था तो उस दौरान भी चीन ने भारत के साथ धोखा किया था. चीन ने भारत को नाथु ला और जेलेप ला दर्रे को खाली करने को कहा था. इसके बाद, भारत ने जेलेप ला तो छोड़ दिया लेकिन नाथु ला दर्रे से पीछे न हटने का फैसला लिया. यही कारण है कि नाथु ला विवाद का केंद्र बन गया.
चीन ने 1975 में फिर किया विश्वासघात
1967 के बाद चीन ने 1975 में भारत के साथ विश्वासघात किया. नाथु ला की शिकस्त चीन को हजम नहीं हुई और उसने लगातार सीमा पर टेंशन बढ़ाने की कोशिश की. वहीं, 1975 में अरुणाचल के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर अटैक किया गया. हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए. इस हमले के लिए भारत ने चीन को जिम्मेदार ठहराया और यह भी कहा कि चीन ने बॉर्डर क्रॉस कर इस हमले को अंजाम दिया है.
1987 में भी बिगड़े हालात
12 साल बाद फिर चीनी सेना के साथ टकराव हुआ. इस बार टकराव का केंद्र था तवांग के उत्तर में समदोरांग चू रीजन. यहां भारतीय फौज नामका चू के दक्षिण में ठहरी थीं लेकिन एक आईबी टीम समदोरांग चू में पहुंच गई. अब इस वर्ष की गर्मियों में तो भारतीय सैनिक वहीं डटे रहे लेकिन अगली गर्मियों में वहां चीनी सैनिक पहुंच गए. भारतीय इलाके में चीन अपने तंबू गाड़ चुका था. इसके बाद, भारतीय सेना ने ऑपरेशन फाल्कन चलाया और जवानों को विवादित जगह पर एयरलैंड किया गया. वहीं, कुछ ही दिनों में हालात काबू में आ गए और दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प नहीं हुई.
जब गलवान में शहीद हुए भारत के 20 सैनिक
इसके बाद, साल 2020 में स्थिति काफी बिगड़ गई. गलवान घाटी में 15 जून को जब दोनों सेनाओं के बीच बातचीत चल रही थी तो चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर अचानक अटैक कर दिया. गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए. शहीदों में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू और जूनियर कमीशंड ऑफिसर नुदुराम सोरेन वीआरसी भी शामिल थे.
सोची-समझी रणनीति के तहत घुसपैठ करता है चीन?
भारत में चीन सोची-समझी रणनीति के तहत घुसपैठ करता आया है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि भारत में चीन की कथित घुसपैठ के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के शोध (राइजिंग टेंशन इन हिमालय: अ जियोस्पेशल एनालिसिस ऑफ चाइनीज इनकर्शन) में यह दावा किया गया है. रिसर्च में उन क्षेत्रों में हुई घुसपैठ को लिया गया है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का इलाका माना जाता है. शोधकर्ताओं ने 13 ऐसे हॉटस्पॉट मार्क किए हैं, जहां चीन ने कई बार घुसपैठ की है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 से लेकर साल 2020 तक चीन ने हर साल औसतन 8 बार भारत में घुसपैठ की कोशिश की है. बता दें कि सरकारी आंकड़े इससे बहुत अधिक हैं.