(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत और चीन के कोर कमांडरों की शनिवार को बैठक, सीमा पर तनाव कम करने पर होगी बातचीत
यह बैठक लद्दाख के चुशूल-मोलडू में होगी. इस मीटिंग में फिंगर-एरिया का मुद्दा छाया रह सकता है. इस बीच गैलवान घाटी में चीन ने अपने कैंप कम कर दिए हैं
नई दिल्लीः लद्दाख के चुशूल-मोलडू में भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए 6 जून यानी शनिवार को अहम मीटिंग होने जा रही है. इस मीटिंग में फिंगर-एरिया का मुद्दा छाया रह सकता है, क्योंकि गैलवान घाटी में चीन ने अपने कैंप कम कर दिए हैं, जिससे ऐसा लगता है कि गैलवान घाटी में तनाव कम करने के लिए चीन तैयार है.
सूत्रों के मुताबिक, इस महीने के शुरूआत से दोनो देशों की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (यानि एलएसी) पर जो फेसऑफ चल रहा है, उसमें सबसे ज्यादा तनाव पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया में ही है. क्योंकि 1962 के युद्ध के बाद से ही ये इलाका दोनों देशों के बीच विवादित रहा है. ऐसे में इस इलाके में किसी भी तरह का डिफेंस-फोर्टिफिकेशन यानी पक्के बंकर या फिर सैनिकों के बैरक इत्यादि नहीं बनने चाहिए. लेकिन तनाव शुरू होने के तुरंत बाद से ही चीनी सेना ने फिंगर-5 एरिया में ना केवल बैरक बना लिए बल्कि एक हेलीपैड भी तैयार कर लिया है. ऐसे में भारतीय सेना मीटिंग के दौरान ‘स्टेटस-कयो’ यानि अप्रैल महीने की शुरूआत वाली स्थिति बनाने पर जोर देगी.
दोनों देशों के सैनिकों के बीच चल रहे तनाव पर बातचीत होगी बैठक में पिछले एक महीने से एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच चल रहा तनाव खत्म करने पर बातचीत होगी. भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर (जिसे फायर एंड फ्यूरी कोर के नाम से भी जाना जाता है) उसके कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह नेतृत्व करेंगे. चीन की पीप्लुस लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए की तिब्बत स्थित शिंचयांग-मिलिट्री डिस्ट्रिक (चीन की सेना कोर के बजाए ‘डिस्ट्रिक’ बोलती है) के कमांडर बैठक में हिस्सा लेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक के लिए सेना मुख्यालय में तैनात डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) और उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी लगातार कोर कमांडर से संपर्क में है. हालांकि, मीटिंग को लेकर थलसेना प्रमुख सहित देश की पूरी 'मिलिट्री-लीडरशिप' मामले पर पैनी नजर रखे हुई है और लगातार स्थिति की समीक्षा की जा रही है.
फिंगर एरिया में हुई थी दोनों देशों के सैनिकों की मुठभेड़ फिंगर-एरिया का मुद्दा इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि 5-6 मई को दोनों देशों के सैनिकों में यहां जबरदस्त भिडंत हुई थी. इस भिड़ंत में दोनो तरफ के कई दर्जन सैनिक घायल हुए थे. दोनों तरफ के सैनिकों ने हमला करने के लिए लाठी-डंडे से लेकर पत्थरबाजी तक की थी. गाड़ियों के शीशे तक तोड़ दिए थे.
शुरूआत में भारतीय सैनिक कम थे इसलिए चीनी सैनिक भारी पड़ गए थे. लेकिन बाद में भारतीय सेना ने अपनी रिइंफोर्समेंट भेजी तो चीनी सैनिक अपनी आर्मर्ड गाड़ियां तक छोड़कर पास की पहाड़ियों में भाग खड़े हुए थे. हालांकि, इस झ़ड़प के बाद दोनों देशों के लोकल कमांर्डस ने बातचीत के जरिए मामले को सुलझा जरूर लिया था लेकिन इसके बाद चीनी सेना ने फिंगर-5 के आसपास अपने सैनिकों का जमावड़ा कर लिया था.
अपुष्ट खबरों के मुताबिक, चीनी सेना ने फिंगर एरिया के पीछे अपने इलाके में लाइट-टैंक और आर्टलरी यानि तोपों को भी तैनात कर लिया है. इसके बाद भारतीय सेना ने भी फिंगर एरिया में मिरर-डिप्लोयमेंट की. यही वजह है कि यहां तभी से दोनों देशों के सेनाओं में तनाव बना हुआ है. सूत्रों ने हालांकि ये भी कहा कि मीटिंग में गैलवान घाटी और हॉट-स्प्रिंग के करीब गोगरा में दोनों देशों के सैनिकों के बीच चल रही तनातनी पर भी बातचीत होगी.
चीनी सेना ने गैलवान घाटी में अपने टेंटों की संख्या कम कर दी है बुधवार को एबीपी न्यूज ने सबसे पहले बताया था कि चीनी सेना ने गैलवान घाटी में अपने टेंटों की संख्या कम कर दी है. हालांकि, कारणों का ठीक ठीक पता नहीं चल पाया है लेकिन माना जा रहा है कि चीनी सेना गैलवान घाटी में तनाव कम करने के लिए तैयार हो सकती है. क्योंकि कैंप कम होने का मतलब है गैलवान घाटी में चीनी सैनिकों की संख्या में कमी.
आपको बता दें कि पिछले एक महीने से भारत और चीन के सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है. लद्दाख में फिंगर एरिया के अलावा गैलवान घाटी, डेमचोक और हॉट-स्प्रिंग के करीब गोगरा में दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है. गैलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने टेंट गाड़कर जमे हुए हैं.
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