लद्दाख: भारत और चीन के बीच सीमा पर टकराव की स्थिति अभी लंबी खिच सकती है क्योंकि एलएसी पर डिसइंगेजमेंट एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है. साथ ही डिसइंगेजमेंट से पहले डी-एस्कलेशन की भी जरूरत है. ये लबोलुआव है मंगलवार को हुई भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की मैराथन बैठक का.


बुधवार को भारत के सरकारी सूत्रों ने बताया कि 30 जून को भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स स्तर की जो लंबी बैठक हुई थी, वो लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर फेसऑफ की साइट्स पर डिसइंगेजमेंट यानि सैनिकों के पीछे हटने और सीमावर्ती इलाकों में डी-एसक्लेशन यानि सैनिकों की संख्या कम करने को लेकर हुई थी.


मीटिंग से ये बात निकलकर आई है कि भले ही दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जल्द से जल्द तनाव खत्म करना चाहते हों, लेकिन ये एक 'जटिल और लंबी प्रक्रिया है.' ऐसे में आने वाले समय में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों और प्रोटोकॉल के जरिए सीमा पर शांति कायम करने के लिए अभी और सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत की जरूरत है.


सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन दोनों ही ने प्राथमिकता के तौर पर एक त्वरित, चरणबद्ध और चरणवार डी-एस्केलेशन की आवश्यकता पर जोर दिया है. आपको बता दें कि एबीपी न्यूज ने मंगलवार की मीटिंग से पहले ही बता दिया था कि मीटिंग का मुद्दा डिसइंगेजमेंट से पहले डी-एसक्लेशन का है.


आपको बता दें कि मंगलवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की तरफ चुशुल में दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की बैठक सुबह 10.30 बजे शुरू हुई थी. ये बैठक रात 9.30 बजे तक चली. भारत की तरफ से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया. जबकि चीन की तरफ से पीएलए सेना के दक्षिणी शिंचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियु लिन ने किया. मीटिंग खत्म होने के बाद चीनी सेना के प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय सेना द्वारा आयोजित डिनर में भी हिस्सा लिया. पूरे 12 घंटे तक चीनी प्रतिनिधिमंडल भारत के क्षेत्र में रहा.


इससे पहले भी दोनों कमांडर 6 जून और 22 जून को मुलाकात कर चुके हैं.‌ सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की बैठक 17 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के तहत हुई जिसमें एलएसी पर उत्पन हुई स्थिति को एक जिम्मेदार तरीके से सुलझाने पर राजी हुए थे. यह कि दोनों पक्ष 6 जून को तय हुए डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को ईमानदारी से लागू करने पर सहमत हुए.


सूत्रों के मुताबिक, 30 जून की बैठक लंबी थी और कोविड -19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए एक 'बिजनेस के तौर' पर आयोजित की गई थी. साथ ही उन्होनें कहा कि क्योंकि डिसइंगेजमेंट एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है ऐसे में किसी भी काल्पनिक और बेबुनियाद खबरों पर विश्वास ना करें.


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