नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच बढ़ते सीमा तनाव को कम करने के लिए कवायदों का नया दौर सोमवार से शुरु हुआ है. इस कड़ी में जहां 22 जून को एक बार फिर दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच एलएसी पर बातचीत आयोजित की गई. वहीं इसी हफ्ते दोनों देशों के बीच सीमा मामलों पर संवाद और संयोजन के लिए बने संयुक्त कार्यसमूह की भी बैठक होगी.
इसके अलावा 23 जून को रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की भी वर्चुअल बैठक हो रही है. यह बैठक वैसे तो आरआईसी के त्रिपक्षीय समूह की विदेश मंत्री स्तर की है, जो पहले भी होती रही है. मगर इसका आयोजन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब इस समूह के दो सदस्यों यानी भारत और चीन के बीच सीमा पर बीते एक महीने से ज्यादा वक्त से तनाव चल रहा है. वहीं, तनाव इतना बढ़ चुका है कि गत 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों की झड़प में बरसों बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर खून बहा और जानें गईं. इस संघर्ष में भारत ने अपने 20 जवानों को खोया.
हालांकि तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में कोरोना संकट के बीच विश्व की मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर चर्चा होनी है. ऐसे में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच किसी द्वीपक्षीय मुद्दे के उठाए जाने की संभावना नहीं है.
सैन्य सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की कड़ी में ही एक बार फिर कोर कमांडर स्तर की बातचीत आयोजित की जा रही है. चुशूल-मोल्डो बॉर्डर मीटिंग प्वाइंट पर हो रही इस बैठक में भारतीय सेना की 14 कोर के कमांडर ले.जनरल हरिंदर सिंह भाग ले रहे हैं. वहीं चीन की तरफ से मेजर जनरल लियु लिन शामिल हो रहे हैं. सुबह 11:30 बजे चीन की तरफ स्थित मोल्डो में शुरु हुई यह बैठक खबर लिखे जाने तक जारी थी.
महत्वपूर्ण है कि भारत गत 6 जून को भी दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बात हुई थी. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच तनाव घटाने के एक प्लान पर रजामंदी भी हुई थी. मगर इस योजना को जमीन पर उतारते वक्त चीन अपने वादे से मुकर गया. इसके कारण ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पाइंट 14 के करीब दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ. क्योंकि भारतीय सेना की 16 बिहार पल्टन के सैनिक चीनी सेना के लोगों को पीछे हटने के लिए कह रहे थे.
सैन्य सूत्रों के मुताबिक भारत की स्पष्ट अपेक्षा है कि चीन न केवल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी आक्रामक मोर्चाबंदी घटाए. बल्कि एलएसी के पीछे भी बीते कुछ दिनों के दौरान किए अपने सैन्य जमावड़े को भी घटाए. साथ ही 4 मई से पहले की स्थिति में चीनी सेनाएं लौटें.
माना जा रहा है कि सोमवार की बैठक में एक बड़ा मुद्दा पैंगोंग झील में फिंगर-4 के करीब चीनी सैनिकों का बड़ा जमावड़ा भी एक अहम मुद्दा है. इसके कारण भारत को अपनी धारणा वाली फिंगर-8 की वास्तविक नियंत्रण रेखा तक गश्त करने में बाधा आ रही है. वहीं चीन के फिंगर-2 और उसके आगे तक अपना दावा जताने के कारण तनाव बना हुआ है. साथ ही गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग समेत कई इलाकों में अभी भी सैनिकों के आमने-सामने की स्थिति बरकरार है.
कूटनीतिक स्तर पर मामले को सुलझाने की कोशिश में दोनों देशों के बीच WMCC यानी संवाद और समन्वय के लिए बने महासचिव स्तर तंत्र की भी बैठक आयोजित की जा रही है. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चालू सप्ताह में ही इस तंत्र की बैठक आयोजित करने की तैयारी है. इस समूह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव करते हैं, जबकि चीन की तरफ से उनके विदेश मंत्रालय में महानिदेशक स्तर अधिकारी होते हैं.
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच इस बात का प्रयास जारी है कि सरहदों पर सैन्य तनाव को कम किया जाए. गलवान घाटी में हुई हिंसा के कारण दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई फोन वार्ता में भी इस बात पर सहमति बनी थी कि बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा. इसके लिए दोनों देश सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल करेंगे.
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