भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट का पहला चरण पूरा, कल होगी दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की एक और बैठक
भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट का पहला चरण पूरा हो चुका है. अब दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट को लेकर शनिवार को दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की बैठक होगी.
नई दिल्ली: शनिवार को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर के दसवें दौर की बैठक है. ये बैठक दोनों देशों के बीच डिसइंगेजमेंट समझौते के पहले चरण के पूरे होने के बाद हो रही है. ये बैठक एलएसी पर चीन के मोल्डो गैरिसन में होने जा रही है और दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट पर बातचीत होगी.
जानकारी के मुताबिक, एलएसी के मोल्डो में चीन की तरफ ये बैठक सुबह 10 बजे शुरू होगी. इस बैठक में भारतीय सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन हिस्सा लेंगे. चीन की तरफ से पीएलए आर्मी के दक्षिणी शिंचियांग के मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ हिस्सा लेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट के तहत पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के डेपसांग प्लेन, गोगरा और हॉट स्प्रिंग में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने पर बातचीत होगी.
जानकारी के मुताबिक, पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर और दक्षिण में पहले चरण का डिसइंगेजमेंट पूरा हो चुका है. पहले चरण के डिसइंगेजमेंट में पैंगोंग त्सो के उत्तर में फिंगर एरिया में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं. चीनी सेना ने फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का पूरी इलाका खाली कर दिया है और अब सिरिजैप पोस्ट पर चली गई है.
एलएसी के सबसे विवादित इलाके, फिंगर एरिया से चीनी सेना ने अपने सैनिकों और बंकर्स के साथ साथ मिसाइल बेस और तोपखाने को भी हटा लिया है. आपको बता दें कि डिसइंगेजमेंट समझौते के तहत चीनी सेना को फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का पूरा इलाका खाली करना था और जितना भी डिफेंस-फोर्टिफिकेशन पिछले नौ महीने में किया था, वो सब तोड़ना है.
भारतीय सेना भी फिंगर 4 से फिंगर 3 पर अपनी स्थायी चौकी, थनसिंह थापा पोस्ट पर चली गई है. चीनी सेना ने पैंगोंग-त्सो के दक्षिण छोर से भी कैलाश हिल रेंज को खाली कर रही है.
पैंगोंग-त्सो के दक्षिणी छोर से लेकर रेचिन ला दर्रे तक करीब 60 किलोमीटर इलाकों को दोनों देशों की सेनाओं को खाली करना है. क्योंकि यहां पर दोनों देशों की सेनाओं की एक दूसरे से मात्र 40-50 मीटर की दूरी थी. य
हां पर दोनों देशों की आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड फोर्सेज़ यानि टैंक, आईसीवी व्हीकल्स (बीएमपी इत्यादि) और हैवी-मशीनरी तैनात थी. नए वीडियो में चीनी सेना के टैंक पीछे जाते दिख रहे हैं. साथ ही यहां बनाए गए डिफेंस-फोर्टिफिकेशन को चीनी सेना के जेसीबी तोड़ते और जमीन को समतल करते देखे जा सकते हैं.
चीनी सेना के टैंक और दूसरे आर्मर्ड व्हीक्लस मोल्डो गैरिसन से कुछ दूरी पर रोहटगो बेस पर जा रहे हैं, तो भारतीय सेना के टैंक, चुशुल ब्रिगेड हेडक्वार्टर और करीब ही लोमा और नियोमा तक पीछे हट गए हैं.
10 फरवरी को दोनों देशों के बीच पैंगोंग-त्सो के उत्तर और दक्षिण में डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ था. खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पहले चरण के पूरे होने पर अगली बैठक होगी.
भारतीय सेना ने मोबाइल से और ड्रोन की मदद से इस डिसइंगेजमेंट की वीडियोग्राफी की है. क्योंकि डिसइंगेजमेंट समझौते में साफ तौर से लिखा गया था कि जो भी इस दौरान प्रक्रिया होगी उसको वेरीफाई किया जाएगा. इसका उल्लेख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दिए अपने भाषण में भी दिया था—‘फेस्ड, कोर्डिनेंट्ड एंड वेरीफाइवेल’ डिसइंगेजमेंट.
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