नई दिल्ली: चीन के साथ सीमा मामलों पर हुई सामूहिक कार्यतंत्र की 17वीं बैठक के बाद भारत ने साफ कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव घटाने के लिए तत्काल और अधिक कदम उठाने की जरूरत है. वहीं दोनों पक्षों ने इसके लिए जल्द ही सैन्य कमांडरों की बैठक आयोजित करने का फैसला किया है.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब 80 दिनों से जारी तनाव को कम करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीमा कार्यतंत्र यानी डब्ल्यूएमसीसी की शुक्रवार को तीसरी बैठक आयोजित हुई. बैठक के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि जल्द ही वरिष्ठ कमांडरों की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें आगे के उपाय तय किए जाएंगे. ताकि सीमा पर तनाव कम करने और सैनिक जमावड़ा घटाने के लिए साथ ही शांति बहाली जल्द सुनिश्चित किए जा सके.
महत्वपूर्ण है कि सैन्य कमांडरों की अगली बैठक बुलाने का फैसला इन खबरों के बीच आया जिनके मुताबिक चीन के सैनिक अभी भी पैंगान्ग झील, देपसांग समेत कई इलाकों में पूरी तरह पीछे नहीं हटे हैं. साथ ही उनके पीछे हटने की रफ्तार भी अपेक्षा के मुकाबले कम है. सैन्य सूत्रों के मुताबिक, जमीनी स्थिति को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता. ऐसे में अगले सप्ताह एक बार फिर सैन्य कमांडरों की बैठक होगी. इसमें भारत की तरफ से इन मुद्दों को उठाया जाएगा.
हालांकि डब्ल्यूएमसीसी के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में सीमा पर सैन्य तनाव घटाने की कवायदों पर पूरी तरह संतोष जताया गया. चीनी वक्तव्य के मुताबिक, दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के ताजा हालात पर खुलकर चर्चा की. साथ ही आमने-सामने की स्थिति सुलझाने और जमीन पर तनाव घटाने के लिए सैन्य बलों द्वारा की गई सकारात्मक कोशिशों का समर्थन किया. चीन ने दोनों पक्षों के बीच डब्ल्यूएमसीसी और सैन्य कमांडर स्तर संवाद के जरिए विश्वास बहाली उपायों पर भी सहमति जताई. स्पष्ट तौर पर चीन यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि उसकी तरफ से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने के लिए उठाए गए कदम काफी हैं.
गौरतलब है कि गत 5 जुलाई को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत के बाद सीमा तनाव घटाने की कवायदों में कुछ रफ्तार तो आई मगर अब भी जमीनी स्तर पर चीन ने अपनी सैनिकों को अप्रैल 2020 की स्थिति तक नहीं लौटाया है.