Explained: एलएसी पर इन इलाकों में था तनाव, डिसइंगेजमेंट के बीच क्या है चीन का असली प्लान?
Gogra-Hot Springs: भारत और चीन (India-China) ने इस बात पर सहमति जताई है कि क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी और दूसरे बुनियादी ढांचों को तोड़ा जाएगा और फिर पारस्परिक रूप से इसे सत्यापित किया जाएगा.
India-China Dispute: भारत और चीन के बीच रिश्तों में पिछले कई सालों से कड़वाहट रही है. चीन अक्सर उकसावे की गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. भारतीय सेना भी सीमा पर चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख मुंहतोड़ जवाब देती रही है. हालांकि इस बीच लद्दाख (Ladakh) के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स (Gogra-Hot Springs) से भारतीय और चीनी सैनिकों की वापसी शांति बहाली की दिशा में अच्छा संकेत माना जा रहा है.
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि भारत और चीन ने इस बात पर सहमति जताई है कि क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और कई दूसरे बुनियादी ढांचों को तोड़ा जाएगा और फिर पारस्परिक रूप से इसे सत्यापित किया जाएगा.
सीमा के पास चीन ने किए कई निर्माण
चीन की हरकतों का अभी हाल ही में नई सेटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ था. इसमें ये सामने आया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास विवादित पैंगोंग त्सो के पास चीन परिवहन बुनियादी ढांचों का विकास कर रहा है. कई जगहों पर नई चौड़ी सड़कों, ब्रिज बनाने का काम शुरू किया गया था. इसके अलावा झील के उत्तरी तट पर कई सहायता सुविधाओं का भी निर्माण किया जा रहा था. हाल में चीनी सेना द्वारा LAC के पास गांव बसाने की खबरें भी सुर्खियों में थीं. इससे पहले पहले नवंबर, 2021 में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ड्रैगन ने अरुणाचल प्रदेश में LAC पर गांव बसाए हैं.
गलवान में शहीद हुए थे 20 भारतीय जवान
पिछले करीब दो साल से लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार था. करीब दो साल पहले गलवान घाटी में दोनों देशों की सेना उलझ गई थी. दोनों तरफ के सैनिकों के बीच भीषण झड़प हुई थी. इस संघर्ष के दौरान 20 भारतीय जवानों ने अपनी धरती के लिए कुर्बानी दी थी. मीडिया रिपोर्ट में ये भी सामने आया था कि झड़प में 40 से अधिक चीनी सैनिक मारे गए या फिर जख्मी हुए. गलवान में संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता ही गया.
गोगरा हाटस्प्रिंग
गोगरा हाटस्प्रिंग (Gogra Hot Springs) पर भारत और चीन के सैनिक करीब दो सालों से आमने सामने थे. ड्रैगन ने भारत के कई गश्ती प्वाइंट पर कब्जा कर लिया था. दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता चली, लेकिन चीन की सेना पीछे हटने को तैयार नहीं थी. कई मीडिया रिपोर्ट में जिक्र किया गया था उस इलाके में चीन ने करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की थी.
क्या चाहता है भारत?
भारत का मानना है कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) से सटी एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के बाद चीन (China) डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन भी करे. सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग (Gogra-Hot Spring) की पीपी-15 से भले ही डिसइंगेजमेंट 12 सितंबर तक पूरा हो जाएगा, लेकिन एलएसी (LAC) पर अभी पूरी तरह से शांति नहीं हुई है. जब तक डि-एसक्लेशन और डि-इनडक्शन नहीं होता है, तब तक ईस्टर्न लद्दाख से सटी एलएसी पर अप्रैल 2020 वाली स्थिति बहाल नहीं हो सकती है.
भारत-चीन में बनी इस बात पर सहमति
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि एलएसी का पूरी तरह से सम्मान करेंगे और उसमें किसी भी पक्ष की ओर से एकतरफा बदलाव लाने की गुंजाइश नहीं रहेगी. इसके अलावा पीपी-15 विवाद सुलझने से दोनों देश वार्ता को आगे ले जाने के लिए तैयार हो गए हैं. शांति के लिए एलएसी के बाकी विवादित इलाकों को भी सुलझाने के लिए सहमति बनी है.
ड्रैगन को अब क्या करना होगा?
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल 2020 की स्थिति को बहाल करने और शांति स्थापित करने के लिए चीन को डिसइंगेजमेंट के साथ साथ डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन भी करना होगा. एसक्लेशन का मतलब ये है कि सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ-साथ टैंक, तोप और मिसाइलों के जखीरे में कमी लाई जाए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन के करीब 60 हजार जवानों की तैनाती है. ऐसे में फॉरवर्ड एरिया से डि-इनडक्शन भी जरूरी है यानी चीनी सेना LAC की फॉरवर्ड पोस्ट से वापस बैरक में चले जाएं, जैसा कि अप्रैल 2020 में थे.
इन इलाकों में रहा था तनाव
भारत और चीन के बीच गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनाव काफी बढ़ गया था. गलवान घाटी में दोनों देश के सैनिक भिड़े, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. पैंगोंग-त्सो लेक (Pangong Lake) से सटे फिंगर एरिया, कैलाश हिल रेंज, गोगरा-हॉट स्प्रिंग के पीपी-17 ए, पीपी 15 इलाकों में तनाव का माहौल दिखा. हालांकि इन इलाकों से फिलहल दोनों देश की सेनाएं पीछे हट गई हैं और तनाव कुछ कम जरूर हुआ है. हालांकि पूर्वी लद्दाख में डेपसांग प्लेन और डेमचोक इलाके ऐसे हैं, जहां साल 2008 और 2013 से विवाद है. दोनों क्षेत्रों को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है.
ड्रैगन पर भरोसा नहीं!
ड्रैगन के किसी भी कदम को लेकर बहुत मजबूती के साथ कुछ भी कह पाना मुश्किल है. चालबाज चीन (China) कब अपने वादों से पलट जाएगा, इस बात का किसी को भी अंदाजा नहीं है. दुनिया के कई देश ये मानते हैं कि चीन की महात्वाकांक्षा बढ़ती जा रही है. चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को छोड़ने के लिए तैयार नजर नहीं आता है. पड़ोसी भारत (India) पर दबाव बनाने के लिए हर संभव कोशिश में रहता है. लद्दाख क्षेत्र (Ladakh) में ड्रैगन अपनी पैठ इसलिए बनाना चाहता है ताकि वो भारत पर दबाव बना सके और यही वजह है कि वो पाकिस्तान को अपने पाले में रखने के लिए उसे प्रलोभन भी देता रहा है.
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